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KORBA:PM आवास में खेल:रिकार्ड में पूर्ण,जमीन से गायब..?

0 झूठा कौन- शिकायतकर्ता, कर्मचारी, जियो टैगिंग या रिकार्ड

0 सवाल: आवास बना ही नहीं तो जियो टैगिंग कैसे हो गई,पूरी राशि भी निकल गई

कोरबा। जिले के कोरबा सहित अन्य जनपद क्षेत्रों के ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित होने वाले आवासों में गफलत बड़े पैमाने पर हुई है। वर्षों से इन आवासों की बाट हितग्राही जोह रहे हैं लेकिन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता और कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही के कारण शासन का करोड़ों रुपया यूं ही किश्तों में निकाल कर गबन कर लिया गया और अधिकांश हितग्राही आज भी पक्के छत वाली मकान की राह ताक रहे हैं। इस बीच एक ऐसा ही मामला कोरबा जनपद क्षेत्र में सामने आया है जिसमें कागज में हितग्राही के नाम का आवास पूर्ण रूप से निर्मित होकर सारी किश्तें आहरित हो चुकी हैं लेकिन हकीकत में यह आवास बना ही नहीं है।
जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत करुमौहा के आश्रित ग्राम आंछीमार तहसील भैसमा के रहने वाले 60 वर्षीय सीरमिट पहाड़ी कोरवा पिता स्व. रुंगू ने 12 अगस्त 2024 को जनपद सीईओ से शिकायत किया है कि वर्ष-2019-20 में उसके नाम पर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ था। रोजगार सहायक पवन एवं सरमन सिंह द्वारा राशि निकाल कर अभी तक आवास का निर्माण नहीं कराया गया है। रोजगार सहायक एवं पंच को कहने पर कहा जाता है कि हम नहीं जानते, तुम्हारा पैसा नहीं लिए हैं, जिसको जो बोलना है बोल दो, हमारा क्या कर लोगे कहकर धमकी दिया जाता है। पहाड़ी कोरवा ने जनपद सीईओ से अपने आवास को पूर्ण करवाने का आग्रह किया है। पत्र पर सीईओ ने जांच हेतु निर्देशित करते हुए सहायक सहायक विस्तार अधिकारी ज्योति सिंह राज, वरिष्ठ करारोपण अधिकारी रामकुमार पैकरा एवं करारोपण अधिकारी चतुरानन सिंह कंवर को शिकायत की बिन्दुवार जांच कर प्रतिवेदन तीन दिवस के भीतर प्रस्तुत करने निर्देशित किया है।

0 किश्तों में पूरा भुगतान आवास निर्माण की तस्वीर के साथ

दूसरी तरफ शिकायत आवेदन के साथ तीन पन्नों का वह दस्तावेज भी प्रस्तुत किया गया है जिसमें सीरगिट के आवास की प्रारंभिक स्थिति दिनांक-09.09.2020 को मोबाइल एप भारत मैप में खींची गई है। इसके पश्चात प्रस्तावित स्थल की तस्वीर दर्शित है। 01 जून 2024 को प्लिंथ लेवल का कार्य, 20 जून 2024 को रूफ कास्ट की तस्वीर और 9 जुलाई 2024 को आवास निर्माण पूर्ण होने की तस्वीर खींची हुई दर्शित है। अब दस्तावेज की मानें तो आवास पूर्ण होकर किश्तों में राशि क्रमश: 25 हजार, 40-40 हजार और 15 हजार रुपए का भुगतान क्रमश: 20 मार्च 2023, 16 जून 2024, 21 जून 2024 और 11 जुलाई 2024 को किया गया है। अब ऐसे में गफलत कहां और कैसे की गई है, यह गंभीर जांच का विषय है। बताते चलें कि जियो टैगिंग के दौरान एक ही आवास को डायरेक्शन बदल-बदल कर फोटो खींचकर अलग-अलग आवास दिखाने का भी कारनामा जिले में हो चुका है। अब देखना यह है कि यह शिकायत कितना सही है?

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