KORBA: फ्लोरा मैक्स कंपनी की गड़बड़ी 500 करोड़ तक जा सकती है..आज सीएम के सामने पीड़ित उठा सकते हैं मामला
कोरबा। कोरबा जिले की चर्चा पिछले लगभग 1 महीने से इस बात को लेकर हो रही है कि यहां पर फ्लोरा मैक्स कंपनी ने आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महिलाओं के स्व सहायता समूहों को अपने जाल में फसाया और फिर उनके नाम से भारी भरकम लोन माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से उठा लिया। अब तक के खुलासे में डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी की खबर है लेकिन दावा किया जा रहा है कि यह आंकड़ा 500 करोड़ से भी ऊपर का हो सकता है। खबर है कि इस मामले में कंपनी के चंगुल में जो लोग फंसे उन्हें यहां तक लाने और आगे की प्रक्रिया बताने के मामले में कई एफएलसीपी और पीआरपी ने अपनी खास भूमिका निभाई। जल्द ही इन पर भी शिकंजा कसा जा सकता है। जबकि कंपनी के डायरेक्टर अखिलेश सिंह सहित 20 से ज्यादा टॉप लीडर्स इस समय जेल में हैं।
फ्लोरा मैक्स के द्वारा किए गए धोखाधड़ी के मामले में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देशभर में सुर्खियां बटोरी है। कुछ ही समय पहले यह कंपनी प्रारंभ हुई और इसने अपने तरीके से शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पैर पसारते हुए केवल महिलाओं पर फोकस किया। सामान्य रूप से कुछ गतिविधियों की शुरुआत करते हुए महिलाओं का सहारा दिया और उनके जरिए यह संदेश आगे तक भिजवाया कि किस प्रकार से वह प्रॉब्ल का सहारा दिया और उनके जरिए यह संदेश आगे तक भिजवाया कि किस प्रकार से वह स्वावलंबी हो सकती है और कुछ ही समय में धनवान हो सकती है । इस बात को फैलाने के लिए कंपनी ने अलग-अलग तरीके से ऐसी महिलाओं और पुरुष एजेंट को अपने साथ लिया जो बड़ी आसानी से दूसरों को फसाने में सफल हो सकते हैं। आजीविका मिशन के अंतर्गत लोगों को जिस प्रकार से मजबूती देने का काम किया जा रहा है। कहीं-कहीं इसका नाम लेकर भी लोगों को अपने जाल में फसाने की काफी अच्छी कोशिश की गई जो सफल रही। जानकारी के अनुसार फ्लोर मैक्स की इस हेरा फेरी को लेकर लगातार नए तथ्य सामने आ रहे हैं। प्राप्त जानकारी में बताया गया है कि कोरबा जिले में फ्लोर से कई समूह और महिलाओं को मिलवाने और उन्हें माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से कर्ज दिलवाने के साथ कर्जदार बनाने में अहम भूमिका कई लोगों ने निभाई। इनमें एफएलसीपी फाइनेंशियल लिटरेसी कम्युनिटी पर्सन के साथ-साथ पीआरपी भी शामिल बताए जा रहे हैं। इन लोगों का संबंध आजीविका मिशन से संबंधित गतिविधियों के बारे में ग्रामीणों को अवगत कराने और उससे लाभ दिलाने का है लेकिन उन्होंने गलत तरीके से लोगों को फसाने में ऊर्जा लगाई। फ्लोरा के कारनामे के साथ नई चीज सामने आने से सवाल खड़ा हो रहा है कि अब कंपनी के डायरेक्टर और टॉप लीडर्स के अलावा अब नए अनुसंधान में और भी संदेही नप सकते हैं।
इतना पैसा कहां से आया माइक्रोफाइनेंस के पास
इस पूरे मामले में सबसे अहम सवाल यह उठ रहा है कि कोरबा जिले में काम कर रही 15 से ज्यादा माइक्रोफाइनेंस कंपनियों आखिर एकाएक इतनी धनवान कैसे हो गई कि उन्होंने करोड़ों की रकम यहां की महिलाओं को दिन या सप्ताह में नहीं बल्कि कुछ मिनट और घंटे में ही आवंटित कर दी। विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई इन माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के अलावा किसी भी सरकारी अथवा निजी बैंक के द्वारा इस मामले में पीडि़त महिलाओं को धनराशि उपलब्ध कराने की अब तक कोई सूचना नहीं है। खबर के अनुसार फ्लोर मैक्स से संबंधित महिलाओं के मामले में उन्हें नोटिस देने के साथ-साथ वसूली के लिए हड़बड़ी करने का काम माइक्रो फाइनेंस कंपनी के एजेंसी कर रहे है। पूरे मामले में अलग-अलग स्तर से सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के पास कुबेर का खजाना कहां से हाथ लग गया कि उन्होंने सैकड़ो करोड़ की राशि यूं ही उपलब्ध करा दी।
सीएम तक जाएगा मामला
12 दिसंबर को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कोरबा जिले के प्रवास पर आ रहे हैं। फ्लोरमैक्स से संबंधित मामला जब सुर्खियों पर है और लगातार पीडि़त लोग इस बारे में प्रशासन के साथ-साथ पुलिस के पास शिकायत कर रहे हैं तब ऐसे में यह बात ऊपर तक जाना स्वाभाविक है। पता चला है कि बड़ी संख्या में पीडि़त लोग इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने की मानसिकता में है। इस दौरान कई प्रकार की चीज सामने आ सकती हैं और प्रकरण में जांच की मांग हो सकती है।
खुदकुशी और अवसाद के मामलों में बढ़ोतरी
जिले में अब तक का यह संभवत पहला मामला है जिसमें किसी कंपनी में जुडऩे के बाद सैकड़ो लोग खुशहाल भले ही ना हुए हैं लेकिन उनके सामने अब आत्मघाती कदम उठाने का ही रास्ता बच गया है। फ्लोरमैक्स के चक्कर में परेशान होकर खुदकुशी की घटनाएं बढ़ गई है। बार-बार तकादे और संबंधित लोगों के द्वारा रकम के लिए दबाव डालें जाने से की पर्सन अवसाद के घेरे में पहुंच गए हैं।