KORBA:बाल अपराधियों में फैला चेचक,स्टाफ भी प्रभावित
0 रोकथाम के लिए नहीं किए गए कोई चिकित्सा उपाय
कोरबा। विधि के विरुद्ध संघर्षरत अपचारी बालकों को सुधार के लिए रखे जाने वाले बाल सम्प्रेक्षण गृह (बालक) रिसदी के बच्चों और स्टाफ को चेचक होने की जानकारी छिपाई गई। इसकी रोकथाम व उपचार के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।
इसका पता तब चला जब जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती रेणु प्रकाश के द्वारा 20 जुलाई को रात 9:30 बजे बाल संप्रेक्षण गृह बालक का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान यह तथ्य सामने आया कि बाल संप्रेक्षण गृह में निवासरत बच्चों को 15 दिवस पूर्व से चेचक हो रहा है तथा कार्यरत कर्मचारी भी चेचक से प्रभावित हुए हैं। इस स्थिति की जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी को नहीं दी गई और न ही चेचक के रोकथाम हेतु चिकित्सा उपचार के लिए जिला बाल संरक्षण अधिकारी दया दास महंत के द्वारा कोई प्रयास किया गया। यह कृत्य कार्य के प्रति घोर लापरवाही, स्वेच्छाचारिता एवं शिथिलता की श्रेणी में आकर छग सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियम 03 के प्रतिकूल है। नोटिस के संदर्भ में दया दास महंत को निर्देशित किया गया है कि अपना प्रत्युत्तर तीन दिवस के भीतर समक्ष वे उपस्थित होकर जिला कार्यक्रम अधिकारी को प्रस्तुत करें। समय-सीमा में समाधानकारक प्रत्युत्तर नहीं पाये जाने पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए प्रस्ताव शासन की ओर प्रेषित किया जाएगा।
0 साण्डे से प्रभार लेकर गजेन्द्र को सौंपा
इधर बाल सम्प्रेक्षण गृह की देखरेख में हो रही लापरवाही के बाद यहां का प्रशासनिक प्रभार एकीकृत बाल विकास शहरी परियोजना के अधिकारी बजरंग प्रसाद साण्डे से लेकर आगामी आदेश तक प्रशासनिक प्रभार जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी गजेन्द्र देव सिंह को सौंपा गया है। यह आदेश जिला कार्यक्रम अधिकारी ने 16 जुलाई को जारी किया है। बता दें कि कुछ ही दिनों के अंतराल में बाल संप्रेक्षण गृह रिस्दी से 4 बच्चे भाग चुके हैं। बीते दिनों जो दो बच्चे भागे थे, वे पॉक्सो के मामले में बंद थे और एक के परिजनों ने उसे वापस यहां पहुँचाया तो दूसरा पाली में अपने गांव नोनबिर्रा में मिला। खुलासा यह भी हुआ है कि ये बच्चे शौचालय के बहाने दीवार फांदकर नहीं बल्कि प्रहरी के पास मौजूद चाबी को चुराकर मेन गेट से ही फरार हुए थे।