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KORBA:अंकिता की मौत के लिए अभिषेक दोषी,3 वर्ष सश्रम कैद, 5.50 लाख का अर्थदण्ड,पढ़ें पूरा फैसला

0 अन्य महिला से विवाह पूर्व तथा विवाह पश्चात् प्रेम संबंध से मानसिक प्रताड़ना रही प्रमुख वजह

कोरबा। लगभग साढ़े 8 साल पूर्व हुई अंकिता सिंह की संदिग्ध मौत पंखे पर लटकी हुई हालत में मिलने के मामले में न्यायालय ने प्रताड़ना के कारण आत्महत्या प्रमाणित होने पर पति अभिषेक सिंह को 3 वर्ष सश्रम कैद व 5.50 लाख रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। अभियुक्त का अन्य महिला निकिता श्रीवास्तव से विवाह पूर्व तथा विवाह पश्चात् प्रेम संबंध के बारे में जिक्र करती सुसाइड नोट के आधार पर मानसिक प्रताड़ना से दोषसिद्ध हुआ है। पीड़ित पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता बलराम तिवारी ने पैरवी की।

घटना दिनांक 16/03/2016 को पुलिस सहायता केन्द्र रामपुर में lig-13, महाराणा प्रताप नगर निवासी आर.पी. सिंह के द्वारा सूचना दी गई थी कि बहू श्रीमती अंकिता सिंह व लड़का अभिषेक सिंह के बीच 15/03/2016 के रात्रि लगभग 11 बजे घर में वाद-विवाद हुआ था, उसी के कारण अंकिता अपने रूम के अन्दर दरवाजा अंदर से बंद कर सिलिंग फैन से चुनरी से बांधकर फांसी लगाकर आत्महत्या की है। अंकिता को जिंदा समझकर जिला अस्पताल लाया, डॉक्टर द्वारा चेक कर फौत होना बताया गया।
घटना की जानकारी अंकिता के जबलपुर निवासी पिता दिनेश सिंह को दी गई तो परिजन कोरबा आये। अंकिता से दहेज की मांग कर उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडित कर विवाह के मात्र 1 वर्ष में ही आत्म हत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का आरोप लगाते थाना में रिपोर्ट पति अभिषेक सिंह,ससुर आरपी सिंह व सास नीलम सिंह के विरुद्ध दर्ज कराया व हत्या को आत्महत्या का रूप देने का भी आरोप लगाया।अभियुक्तगण पर धारा 498ए, 304 बी, 306,34 भादंस के तहत जुर्म दर्ज किया गया। प्रकरण विचरण हेतु न्यायालय में पेश किया गया जिसमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र कुमार साहू ने 23 जुलाई को फैसला सुनाया।
0 सास-ससुर दोषमुक्त किये गए
इस प्रकरण के प्रारम्भ में एक आरोपी निकिता श्रीवास्तव भी थी, जिसे उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा धारा 306 से उन्मोचित किया गया,तब से निकिता के विरूद्ध कोई कार्यवाही लंबित नहीं रही। अन्य आरोपीगण के विरूद्ध उच्च न्यायालय ने धारा 302 को समाप्त किया और शेष धाराओं में विचारण के दौरान राजेन्द्र प्रताप सिंह और नीलम सिंह को दोषमुक्त किया गया।अभिषेक सिंह को धारा 304 बी और 306 संदेह से दोषमुक्त किया किंतु धारा 498 ए में दोषसिद्ध पाया गया।

0 आदेश ने यह कहा न्यायाधीश ने…
अंकिता सिंह द्वारा आत्महत्या का आधार अभिषेक सिंह का अन्य महिला निकिता श्रीवास्तव से विवाह पूर्व तथा विवाह पश्चात् प्रेम संबंध के आधार पर मानसिक प्रताड़ना था। यह अवश्य है कि केवल निकिता श्रीवास्तव एवं अभिषेक सिंह का प्रेम संबंध होना मृतका अंकिता सिंह के लिए मानसिक प्रताड़ना नहीं होना कहा जा सकता है परन्तु अंकिता सिंह ने अपने सुसाईडल नोट में स्पष्ट उल्लेख किया है कि अभिषेक सिंह ने उसे सगाई के समय बताया था कि वह किसी अन्य लड़की को पसन्द करता है, तो उसने कहा था कि वह शादी क्यों कर रहा है। उक्त जानकारी के बाद भी अभिषेक सिंह ने अंकिता सिंह से विवाह किया और सुसाईडल नोट के अनुसार अभिषेक सिंह ने उसे निकिता श्रीवास्तव को पाने का जरिया बनाया और जब भी अंकिता सिंह ने प्रेम संबंध समाप्त करने के लिए कहा, तब-तब अभियुक्त अभिषेक सिंह ने सब कुछ ठीक कर देने का कथन किया, पर ठीक नहीं किया और अंत में निकिता श्रीवास्तव के कहने पर अंकिता सिंह को तलाक देने का कथन करने लगा। इस दौरान बीच-बीच में अभिषेक सिंह द्वारा अंकिता सिंह से बातचीत बंद कर अथवा अन्य तरीके से अंकिता सिंह को प्रताड़ित किया गया। यदि अभियुक्त अभिषेक सिंह को अंकिता सिंह के साथ नहीं रहना था, तो स्पष्ट रूप से अंकिता सिंह को उसके माता-पिता के पास भेजकर वह अपने संबंधों को समाप्त कर लेता, परन्तु वह अंकिता सिंह को धोखे में रखकर उसे यह आशा देते हुए कि वह सब कुछ ठीक कर देगा, संबंध को निरंतर रखा और अंत में निकिता श्रीवास्तव को चयन करते हुए अंकिता सिंह को तलाक देने का निश्चय कर लिया, जो निश्चित रूप से मृतका अंकिता सिंह के लिए असहनीय स्थिति था।
सुसाईड नोट में उल्लेखित तथ्यों से यह भी स्पष्ट होता है कि अभिषेक सिंह का अंकिता सिंह को प्रारम्भ से प्रताड़ित करने का दुराशय उत्पन्न हो गया था। अभियुक्त के व्यवहार व क्रूरता से अंकिता सिंह स्वयं को ठगी हुई अथवा स्वयं को पत्नी के रूप में पूरी तरह अस्वीकृत (रिजेक्टेड) होना पा रही थी और उसके द्वारा अभियुक्त अभिषेक सिंह और उसके मित्र निकिता श्रीवास्तव को निरंतर यह सूचना दिया जा रहा था कि वह आत्महत्या कर लेगी, तब भी अभिषेक सिंह द्वारा अंकिता सिंह के शारीरिक मानसिक स्थिति को देखते हुए भी उसके काउंसिलिंग अथवा मानसिक उपचार का व्यवस्था करने के संबंध में कोई समुचित कार्यवाही नहीं किया गया और न ही अंकिता सिंह को उसके माता-पिता अथवा अन्य रिश्तेदारों के सुपुर्द किया गया, जिससे अंकिता सिंह के आत्महत्या करने की परिस्थितियां निर्मित हुई, जिसमें अन्य अभियुक्त आरोपिया श्रीमती नीलम सिंह एवं आरोपी राजेन्द्र प्रताप सिंह का योगदान रहा है, परन्तु उनके द्वारा सामाजिक प्रतिष्ठा को ध्यान रखते हुए अभिषेक सिंह और अंकिता सिंह के विवाद को निराकरण का प्रयास किया गया। अभियुक्त अभिषेक सिंह द्वारा अंकिता सिंह को मानसिक रूप से क्रूरता कारित किया गया, जिससे धारा 498ए के आरोप में दोषसिद्धी हेतु आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है।

0 इस कारण से सुसाइड पर उठाया गया था सन्देह
अंकिता के परिजन इसे प्रारम्भ से हत्या बता रहे हैं। मामले के विचारण के दौरान तथ्य भी आया कि जब एक साक्षी व परिजन ने मरच्यूरी में अंकिता के शव को देखा तो घुटने के नीचे और हाथ की कोहनी के पास चोट थी। दूसरे दिन पुलिसवाले उन लोगों को अंकिता के घर ले गए, उसने अंकिता के कमरे में देखा सीलिंग फैन के एक पंखुड़ी (ब्लेड) में आधा कटा हुआ दुपट्टा लटका था, पंखुड़ी (ब्लेड) कहीं से क्षतिग्रस्त नहीं थी। दुपट्टे का आधा हिस्सा जमीन में पड़ा हुआ था, वहां पर बिस्तर की स्थिति बिखरी हुई थी, वहां अंकिता की टूटी हुई चूड़ियां, एक चाकू, एक पेन, एक डायरी, एक काले रंग का वायर, एक मंकी जैसा खिलौना, पड़ा हुआ था, एक डमरू टाइप का टेबल पड़ा हुआ था।पुलिसवालों ने वहां बताया कि डमरू जैसा जो टेबल था, उसमें चढ़कर अंकिता ने आत्महत्या की है तब उसने उस टेबल को बेड के ऊपर रखकर पुलिसवाले को कहा कि चढ़कर बताओ, जिस पर वह कई बार चढ़ा परंतु वह सफल नहीं हुआ, टेबल गिर जा रहा था, उसके बाद एक पुलिसवाले ने टेबल को पकड़ा, उसके बाद भी दूसरा पुलिस वाला उस पर नहीं चढ़ पाया। उसके बाद दो लोगों ने टेबल को पकड़ा, उसके बाद भी तीसरा आदमी नहीं चढ़ सका, बैलेंस नहीं बन पा रहा था। उसके बाद तीन लोगों ने टेबल को पकड़ा, तब एक पुलिसवाला टेबल पर चढ़ पाया।

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