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DMF:ठेकेदारों ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कॉन्ट्रैक्ट रेट का 15% से 42% तक कमीशन दिया…ठेकेदार आयेंगे लपेटे में

IAS अफसर रहीं रानू साहू, माया वारियर, मनोज कुमार द्विवेदी समेत 10 लोगों की संपत्ति कुर्क की गई .

रायपुर: DMF घोटाले में जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू और माया वारियर को 17 दिसंबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। ED ने अपनी जांच छत्तीसगढ़ पुलिस की FIR के बाद शुरू की थी।

इसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत करके DMF को हड़पने की साजिश रची थी। DMF ठेकों को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए, ठेकेदारों ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कॉन्ट्रैक्ट रेट का 15% से 42% तक कमीशन दिया।

बता दे कि डीएमएफ घोटाले में बड़ा अपडेट सामने आ रहा है। छत्तीसगढ़ में हुए DMF घोटाले के केस में ED ने आरोपियों की करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति कुर्क है। कुर्क की गई ये संपत्ति IAS अफसर रहीं रानू साहू, माया वारियर, मनोज कुमार द्विवेदी समेत 10 लोगों की है।
इस केस में राधे श्याम मिर्झा, भुवनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र कुमार राठौर, भरोसा राम ठाकुर, संजय शेंडे, हृषभ सोनी और राकेश कुमार शुक्ला गिरफ्त से बाहर है।

जानिए क्या है DMF घोटाले में रानू साहू कनेक्शन

जिला खनिज फंड यानी DMF की स्थापना खनन कार्यों से प्रभावित लोगों के लिए की गई है।
खनन कंपनियों से प्राप्त रॉयल्टी का एक प्रतिशत DMF में जमा होता है। इससे खनन प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास के साथ ही स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका सहायता प्रदान करना है।

इसी फंड में घोटाला किया गया है। कोरबा कलेक्टर रहते हुए रानू साहू ने इसे अंजाम दिया। डिस्ट्रिक्ट माइनिंग कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता पाई गई। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

सरकारी अफसरों को 40% कमीशन मिला

ईडी की जांच रिपोर्ट के अनुसार टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने लिया है। ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।

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