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सवाल? दंतैल की मौत पर किसकी तय होगी जिम्मेदारी….

0 इंसानी लापरवाही बेजुबान की जिंदगी पर भारी पड़ गई
कोरबा । छत्तीसगढ़ राज्य में कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत पसान रेंज सहित आसपास के रेंज के जंगलों में हाथियों की आवाजाही लगातार बनी हुई है। कई महीनो से उनकी मौजूदगी बने रहने के साथ-साथ उनके द्वारा घर, खेत,बाड़ी को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। दल से बिछड़े दंतैल भी आक्रामक होकर जान माल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बेजुबान हाथियों को काबू में कर पाने का ठोस जतन भी वन महकमा नहीं कर पा रहा है तो दूसरी तरफ ग्रामीण हाथियों के खौफ में अपना जीवन व्यतीत करने मजबूर हैं। हाथियों को यदि किसी तरह का नुकसान पहुंचाया गया या उसकी मौत के लिए कोई इंसान या उसकी हरकत जिम्मेदार हुई तो उस पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। हाथी यदि खुद की मौत मरता है तो वह प्राकृतिक कहलायेगा लेकिन पिछली रात से आज सुबह के बीच जो हादसा हुआ और इस हादसे में एक दंतैल हाथी की मौत हो गई, उसके लिए आखिरकार वन महकमा किसकी जिम्मेदारी तय करेगा, यह सवाल बार-बार उठ रहा है।

पसान रेंज के ग्राम पनगवा में करेंट से दंतैल हाथी की मौत की खबर मिली। तनेरा जलके रेंज के डिप्टी रेंजर अनिल कश्यप ने बताया कि पनगवा बैगापारा खंजर पहाड़ में एक हाथी की मौत हुई है। करंट लगने से हाथी की मौत की घटना से वन महकमे में हड़कंप मची रही। घटनास्थल पर वन मंडल के अधिकारी कुमार निशांत सहित अन्य अधीनस्थ अधिकारी व कर्मियों ने पहुंचकर वैधानिक कार्रवाई पूर्ण की।
दंतैल के मौत की वजह करंट लगना है जो जंगल के रास्ते से गुजारे गए तार के कारण हुआ है। जंगल के रास्ते से होकर खंभों के सहारे बिजली के तार खींचे गए हैं। जिस रास्ते से दंतैल का जाना हुआ और वह जिस टीले पर चढ़कर आगे का सफर तय करने वाला था, उस टीले से कम ऊंचाई पर विद्युत प्रवाहित तार लटक रहा था। करंट प्रवाहित तार से हाथी का संपर्क हुआ और वह वहीं धराशाई हो गया।
भला उस बेजुबान को क्या मालूम था कि इंसानी लापरवाही उसकी जान ले लेगी। इस घटना को हादसा तो कहा जा सकता है लेकिन यह ऐसा हादसा है जिसके लिए लापरवाहीपूर्वक कृत्य पूरी तरह से जिम्मेदार है। जंगली जानवरों खासकर हाथियों के रहवास और आवागमन का क्षेत्र होने की जानकारी प्राय: इस क्षेत्र के सभी अधिकारियों को है और बिजली विभाग भी इससे अछूत हो, यह संभव नहीं। विद्युत वितरण कंपनी के द्वारा जिस किसी भी ठेकेदार अथवा अमले के माध्यम से विद्युत तार खिंचवाने का काम कराया गया हो यह उसकी भी लापरवाही हो सकती है कि उसने कम ऊंचाई में तार को खींचा। यदि टीले के कारण तार कम ऊंचाई पर था तो खम्भा लगाकर ऊंचा करना था। यह तार हवा में झूलता रहा और इस झूलते तार के संपर्क में आकर हाथी की मौत हो गई। मौत के लिए कारण और जिम्मेदार जो भी हो उस पर कार्रवाई तो होना चाहिए, ऐसा ग्रामीण भी मान रहे हैं और सीएसईबी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यह दूसरी बात है कि एक महकमा दूसरे सरकारी महकमे पर कोई कार्रवाई करने से अपने आपको बचाने का जतन कर सकता है। फिर भला मृत दंतैल हाथी के साथ न्याय कहां हुआ, उसकी मौत के जिम्मेदार लोगों को सजा कब और कैसे मिलेगी…यह सवाल जिंदा है?

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