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छग में दिव्यांगों के अधिकार पर डाका,जांच के नाम कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे

0 आरोप- विभागीय अधिकारी लेन-देन कर बचा रहे फर्जी लोगों को

रायपुर/कोरबा। छत्तीसगढ़ में फर्जी लोग दमदारी से नौकरी कर रहे हैं और वास्तविक दिव्यांगजन डबल यूजी एवं डबल पी.जी. होने के बावजूद दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर इनके अधिकार पर डाका डाल रहे हैं। ऐसे कुछ की तस्वीरें,चर्चा सोशल मीडिया में वायरल होकर हकीकत बयां कर रही हैं। श्रवण बाधित हैं पर अच्छे से सुन लेते हैं, इंटरव्यू भी देते हैं। दृष्टिबाधित हैं लेकिन बिना चश्मे के क्रिकेट तक खेल लेते हैं और घूमने-फिरने के दौरान भी कहीं चश्मा तक नजर नहीं आता।

हाल ही में पूजा खेडकर फर्जी दिव्यांग आई.ए.एस. का मामला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ में भी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे लोगों के विरुद्ध जांच और कार्रवाई की मांग तेज हुई है। हालांकि इस मामले में शिकायत शासन-प्रशासन से विगत 2 साल से चल रहा है लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ दिव्यंग सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर की मानें तो छ.ग. शासन में वर्तमान में दिव्यांगजनो के लिए आरक्षित पदो में से लगभग 50 प्रतिशत पदो पर फर्जी दिव्यांग लोग कार्यरत हैं। इसकी सूची सार्वजनिक करते हुए बताया कि ये लोग जिला मेडिकल बोर्ड में डॉक्टरो से लेन-देन कर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा लेते हैं। छ.ग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने हेतू कई गैंग सक्रिय है, वे 50 हजार से 1 लाख रूपये में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा देते हैं। कुछ केस डॉक्टरो या स्टॉफ की जानकारी में होता है लेकिन अधिकतर केस मे प्रमाण पत्र बनवाते समय अन्य वास्तविक दिव्यांग को पैसा देकर अपने जगह पेश करते हैं जिससे डॉक्टरो के द्वारा आसानी से प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है। इन लोगो का पुख्ता सबूत हमारे (संघ के) पास है तथा इसमे से कई लोग संघ के सदस्यो के साथ पढ़े-लिखे हैं।

0 फर्जी आंकड़ों पर एक नजर
संघ के द्वारा प्रारंभिक तौर पर छ.ग. पी.एस.सी से चयनित 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार 2 सहकारिता निरिक्षक, 3 पशु चिकित्सक सहित लगभग 25 लोगो का शिकायत शासन प्रशासन के समक्ष किया गया है। कृषि विभाग के 52 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, उद्यान विभाग के 11 ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, मुंगेली जिला के 39 अधिकारी कर्मचारी, जल संसाधन विभाग के लगभग 10 उपअभियंता, लोक निर्माण विभाग के लगभग 15 उपअभियंता के फर्जी दिव्यांग होने का शिकायत संघ के द्वारा विगत 2 वर्षों से लगातार किया जा रहा है। 2018 में स्कुल शिक्षा विभाग मे दिव्यांग कोटे से चयनित शिक्षको मे से लगभग 70 प्रतिशत लोग फर्जी दिव्यांग है। जिनका ज्वाइनिंग 1.1.2019 के बाद हुआ है। इसी प्रकार सहायक प्राध्यापक भर्ती उच्च शिक्षा विभाग मे मे 60 प्रतिशत लोग फर्जी दिव्यांग है। जिनका ज्वाइनिंग 1.1.2019 के बाद हुआ है। हमारे संघ के शिकायत तथा राधाकृष्ण बनाम छ.ग. शासन जनहित याचिका क्रमांक 14/2019 के बाद छ.ग. शासन ने 29.05.23 एवं 22.06.23 को दो परिपत्र निकाला जिसमे साफ साफ उल्लेख है कि दिनांक 1.1.19 के बाद ज्वाइनिंग किए गए समस्त शासकीय सेवको के दिव्यांगता का भौतिक परीक्षण किया जावेगा लेकिन शासन प्रशासन कागजी घोडा दौडा रहे है। आज दिनांक तक किसी भी विभाग ने इस परिपत्र का पालन नही किया न ही भर्ती विज्ञापन मे यह कंडिका डाला जाता है।

0 200 में सिर्फ 3 की जांच,तीनों फर्जी साबित
शिकायतो मे उल्लेखित नामो मे से केवल 3 का राज्य मेडिकल से परीक्षण हुआ है जिसमे तीनो फर्जी दिव्यांग साबित हो चुके है। रिचा दुबे सहायक संचालक कृषि महासमुंद बर्खास्त हो चुकी है लेकिन उस पर विभाग ने आज दिनांक तक प्राथमिकी दर्ज नही कराई है। बचे 2 लोग सत्येन्द्र सिंह चंदेल व्याख्याता जिला जांजगीर एवं अक्षय सिंह राजपूत व्याख्याता जिला मुंगेली का बर्खास्ती आज दिनांक तक नही हो पाया है। विभाग इन दोनो की मदद कर रहा है। शिकायत में उल्लेखित लगभग 200 लोगो मे से केवल 3 लोग ही राज्य/ संभाग मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित हुए और तीनो फर्जी साबित हो चुके है बाकि लोग डर मे राज्य/ संभाग मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित नही हो रहे है। विभागो को इनका वेतन रोक कर कड़ी कार्यवाही करना चाहिए लेकिन विभाग के लोग लेन-देन कर उनको सहयोग कर रहे हैं।पत्र इस प्रकार से गलत तरीके से निकालते है कि उन्हे कोर्ट से स्टै मिल जाये या फिर जांच न कराने पर भी उस पर कोई कार्यवाही न हो। गलत- सलत पत्र निकाल कर संबंधितो को बचाने का प्रयास कर रहा है।

0 हाईकोर्ट जा रहे, मेडिकल जांच कराएं
संघ की शिकायत मे उल्लेखित नामो मे से लगभग 50 लोग हाईकोर्ट चले गये हैं ताकि जांच एवं कार्यवाही से बच सके लेकिन कोर्ट को भी संज्ञान में लेना चाहिए कि इतने मात्रा मे फर्जी दिव्यांग संबंधित शिकायत वाले लोग कोर्ट की शरण में 50 से 60 हजार खर्चा कर आ रहे हैं, उन्हे 1 दिन राज्य / संभाग मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होकर जांच कराना चाहिए।

0 सरकार बदली, हालात नहीं
संघ के अध्यक्ष ने बताया कि कांग्रेस शासन काल में मुख्यमंत्री से लेकर लगभग सभी संबंधित मंत्रियो से सिर्फ आश्वासन ही मिला। वर्तमान में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा अरूण साव मंत्री ओपी चौधरी, लक्ष्मी रजवाडे, रामविचार नेताम से मुलाकात के बाद भी कागजी घोड़ा दौड़ रहा है।

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