BREAK:कोरबा जनपद से फाईल गायब..! 6 हेडमास्टर का निलंबन क्यों रुका..?
कोरबा। अलग-अलग प्राप्तांकों वाले अंक सूची के आधार पर नौकरी करते आ रहे चार प्रधान पाठकों का जांच उपरांत निलंबन तो कर दिया गया लेकिन निलंबन की कार्रवाई सूची में शामिल 6 अन्य लोगों पर मेहरबानी बरस रही है। इनमें एक महिला सहित दो प्रधान पाठक के नाम सहित बीईओ को भेजी गई 10 लोगों की सूची में क्रमांक 9 व 10 से संबंधित प्रधान पाठक की फाइल ही जनपद पंचायत से गायब हो गई है। सूत्र बताते हैं कि पूरे मामले में लीपापोती की जाकर निलम्बन को लटकाया जा रहा है।
मामला कोरबा जिले में वर्ष 2007 में हुई शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती का है। उसे समय जनपद पंचायत कोरबा के द्वारा भर्ती की गई थी, बाद में सभी शिक्षक शिक्षा विभाग के अधीन किए गए और उनके रिकॉर्ड शिक्षा विभाग में जमा हुए। इस मामले को लेकर शिकायत हुई थी कि कुछ लोगों ने फर्जी अंकसूची के सहारे नौकरी हासिल की है। जब इसकी जांच कराई गई तो वर्ष 2007 में भर्ती के समय जनपद कार्यालय में जमा किए गए अंक सूची और विभागीय सेवा पुस्तिका में मौजूद अंक सूची के प्राप्तांकों में अंतर उजागर हुआ। इस तरह यह बात प्रमाणित हुई की दो अलग-अलग प्राप्तांकों वाले अंक सूची इनके द्वारा जमा कर फर्जीवाड़ा किया गया है। इस मामले में पिछले महीने ही कलेक्टर के मार्गदर्शन व जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर कोरबा खंड शिक्षा अधिकारी के द्वारा चार प्रधान पाठकों को निलंबित कर दिया गया।इसके बाद निलंबन की कतार में छह अन्य प्रधान पाठक भी हैं लेकिन आज पर्यंत उनका निलंबन नहीं किया जा सका है। इस बारे में बीईओ संजय अग्रवाल से जानकारी लेने पर कहना था कि सिर्फ चार लोगों के प्राप्तांकों में अंतर पाए गए, इसलिए उन्हें ही निलंबित किया गया है और बाकी लोगों के प्रमाण पत्र सही मिले हैं। यदि कुछ और मामला है तो उसके बारे में जनपद सीईओ बता सकते हैं।
0 सीईओ का पत्र कुछ और कह रहा
दूसरी तरफ इस मामले में मजेदार और चौंकाने वाली बात यह है कि 22 मई 2024 को जारी पत्र क्रमांक 561 में कोरबा जनपद सीईओ के द्वारा 10 प्रधान पाठकों के नाम की सूची कोरबा खंड शिक्षा अधिकारी के नाम प्रेषित की गई और उसमें उन चार प्रधान पाठकों का भी नाम शामिल है जिनका निलंबन किया गया है। एकल पत्र में लेखित सभी 10 लोगों के लिए की गई टिप्पणी भी एक ही है। निलम्बित किये गए प्रधान पाठक मिनेश कौशिक, विनोद निराला, राम लाल जांगड़े व दिलीप कुर्रे के साथ इन छह अन्य लोगों का भी नाम उक्त पत्र में है। जारी उक्त पत्र में जनपद सीईओ ने स्पष्ट लिखा है कि इन सभी के प्राप्तांकों में अंतर पाया गया है। सत्यसंवाद को विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि इस पत्र के अंत में यह भी लिखा गया है कि 9 और 10 नंबर के प्रधान पाठक से जुड़ी फाइल/ दस्तावेज विभाग (जनपद) के पास उपलब्ध नहीं है। इसमें 10 वें नंबर पर एक महिला प्रधान पाठिका का नाम है। अब यह सवाल लाजिमी है कि जब 10 लोगों के प्रमाण पत्र के प्राप्तांकों में अंतर का लेख कर सूचीबद्ध जानकारी सीईओ ने बीईओ को भेजी है तो, 4 को छोड़कर शेष सही कैसे हो गए? शेष 6 लोगों को अभयदान क्यों मिल रहा है? इससे भी बड़ी बात यह है कि क्रमांक 9 और 10 वाले प्रधान पाठकों की फाइल/दस्तावेज आखिर क्यों, कैसे और किसके द्वारा जनपद कार्यालय से गायब किए गए हैं जो अनुपलब्ध हैं। जनपद व शिक्षा गलियारे में चर्चा तो इस बात की भी है कि जनपद के एक बाबू की गतिविधियां इस पूरे फर्जीवाड़ा के मामले में काफी संदिग्ध रही है और उसे एक समय में नोटिस भी जारी किया गया था लेकिन उसने अपने रसूख और पहुंच के बल पर आज तक अपनी कार्रवाई को रुकवा कर रखा था। बहरहाल दो प्रधान पाठकों के दस्तावेज गायब हैं लेकिन इसके संबंध में पतासाजी के लिए कोई छानबीन नहीं की गई और ना ही थाने में कोई सूचना दी गई है, तो सारा मामला गोलमाल ही है। इसमें 6 प्रधान पाठकों को अभयदान दिया जा रहा है और चार प्रधान पाठकों की बलि चढ़ा दी गई है ।