सरपंच और दबंगों का फरमान : 7 परिवारों का हुक्का-पानी बंद, सांसद प्रतिनिधि भी पीड़ित..SP कार्यालय पहुंचे
जाने सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानूनी प्रावधान और कार्रवाई

CG News: कबीरधाम जिले के लोहारा ब्लॉक अंतर्गत सिंघनगढ़ गांव में सरपंच और गांव के कुछ दबंगों पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोपों के मुताबिक दबंगों ने सांसद प्रतिनिधि व पूर्व सरपंच भगवानी साहू समेत 7 परिवार के 50 सदस्यों को समाजिक बहिष्कार कर दिया है। बाकायदा गांव में बैठक कर मुनादी कराई गई है कि इन परिवारों से बातचीत या लेन-देन करने पर 1 हजार रुपये अर्थदंड लिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित भगवानी साहू ने बताया कि सभी फसाद की जड़ में एक ही शख्स है, जो आयुर्वेद अस्पताल में फॉर्मासिस्ट है और उसका नाम विद्यासिंह धुर्वे है। पूरी राजनीति उसी के द्वारा की जा रही है। ताश जुआ भी गांव के कुछ दबंग खिलाते हैं, जिसे हटाने के लिए कुछ लोगों ने विधायक से मांग की थी। इसी बात से नाराज होकर आरोपी ने हुक्का पानी बंद करने का फरमान जारी किया है।
सरपंच का फरमान
सरपंच ने गांव में बैठक बुलाई और हमारा सामूहिक बहिष्कार कर दिया। गांव के लोग हमसे बात नहीं करते हैं, किसी तरह का लेनदेन भी नहीं रखते हैं। अगर हमसे कोई बात करेगा या फिर कोई लेनदेन करेगा तो उसपर 1 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा।
पीड़ित परिवारों की शिकायत
पीड़ित परिवार के सदस्य एसपी कार्यालय पहुंचे और लिखित शिकायत दी है। एएसपी पुष्पेंद्र कुमार बघेल ने पीड़ितों को हर संभव न्याय देने का वादा किया है और कहा है कि कानून सम्मत जो भी कार्रवाई होगी, वह की जाएगी। अभी हम पूरी शिकायत की जांच करा रहे हैं।
सामाजिक बहिष्कार झेलने वाले 7 परिवार
शिकायत करने वाले 7 परिवारों में भगवानी साहू, घांसीराम निषाद, संतोष गुप्ता, पवन साहू, हुलास साहू, हेमकुमार साहू और शत्रुघ्न साहू शामिल हैं। इनके परिवारों का सामाजिक बहिष्कार दबंगों और आरोपी फॉर्मासिस्ट ने किया है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनको दुकान से सामान भी नहीं दिया जा रहा है और गांव के लोग भी उनको परेशान कर रहे हैं ।
जाने सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानूनी प्रावधान और कार्रवाई
सामाजिक बहिष्कार एक गंभीर समस्या है, जिसके खिलाफ भारत में कई कानूनी प्रावधान हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य सामाजिक बहिष्कार के मामलों में पीड़ित व्यक्तियों या समूहों को न्याय दिलाना है।
कानूनी प्रावधान
सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानूनी प्रावधानों में शामिल हैं:
- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी): आईपीसी की धारा 153ए और 505 में भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ प्रावधान किए गए हैं।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: इस अधिनियम में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार और अन्य अत्याचारों के खिलाफ प्रावधान किए गए हैं।
- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993: इस अधिनियम में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में कार्रवाई के लिए प्रावधान किए गए हैं।
कानूनी कार्रवाई
सामाजिक बहिष्कार के मामलों में पीड़ित व्यक्ति या समूह कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इसमें शामिल हैं:
- पुलिस में शिकायत: पीड़ित व्यक्ति या समूह पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- न्यायालय में मामला: पीड़ित व्यक्ति या समूह न्यायालय में मामला दायर कर सकते हैं।
- मानवाधिकार आयोग: पीड़ित व्यक्ति या समूह मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
निष्कर्ष
सामाजिक बहिष्कार एक गंभीर समस्या है, जिसके खिलाफ कानूनी प्रावधान और कार्रवाई आवश्यक है। पीड़ित व्यक्ति या समूह को न्याय पाने के लिए कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।