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रामसाय के नाम फर्जीवाड़ा, जवाहर औऱ राजेन्द्र यादव को 7 साल की कैद

कोरबा। कोरबा जिले में एक आदिवासी ग्रामीण की ज़मीन को गैर आदिवासी के द्वारा स्वयं उपस्थित होकर किंतु अपने स्थान पर अपने पिता की फोटो चिपका कर उप पंजीयक के समक्ष फर्जी रजिस्ट्री कराने और उक्त भूमि गैर आदिवासी के नाम बाजार भाव से 1/20 गुना कम दर पर बेचने के मामले में
न्यायालय ने सजा और अर्थदण्ड से आरोपित किया है। ग्राम दादर की ज़मीन फर्जीवाड़ा में जवाहर अग्रवाल और उसके साथी राजेंद्र प्रसाद यादव को विशेष न्यायालय ने विभिन्न धाराओं में अधिकतम 7 साल की सजा से दंडित किया है।

प्रकरण के प्रार्थी रामसाय उरॉव पिता-दोदरो, उम्र 70 वर्ष, निवासी-दादरखुर्द (कदमखार) के द्वारा कलेक्टर कोरबा को आवेदन प्रस्तुत किया गया था कि कि उसके हक की जमीन खसरा नंबर 626 रकबा 1 एकड को आरोपी रामसाय पिता दोन्द्रो यादव दादरखुर्द एवं राजेन्द्र यादव पिता कालीचरण यादव, निवासी-दादरखुर्द के द्वारा दशरथ उरांव के स्थान पर खड़ा कर कूटरचित दस्तावेज के आधार पर धोखाधड़ी करते हुए उप-पंजीयक कार्यालय कोरबा से रजिस्ट्री कराया गया है। जिला दण्डाधिकारी कोरबा के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के माध्यम से टीम गठित कर विवादित भूमि का जाँच कराया गया। जाँच पर पाया गया कि कूटरचित दस्तावेज के आधार पर रामसाय पिता दोंदरों निवासी कदमहाखार जाति उरॉव के जमीन को रामसाय पिता दोंदरो यादव की भूस्वामी बनाकर अनुसूचित जनजाति की जमीन को फर्जी तरीके से अभियुक्त जवाहर लाल अग्रवाल पिता चंदगीराम अग्रवाल के नाम पर रजिस्ट्री कराया गया है। जाँच प्रतिवेदन के आधार पर मामला पंजीबद्ध कर विवेचना पर अभियुक्त राजेन्द्र प्रसाद यादव पिता कालीचरण यादव, कमल नारायण पटेल पिता गंगाधर पटेल को गिरफ्तार किया गया। इस बीच अभियुक्त कमलनारायण पटेल की रिमाण्ड अवधि में 18.02.2015 को मौत हो गयी। परदेशीराम यादव पिता बिशाहूराम यादव की मृत्यु 31.12.2014 को हो गई। अपराध विवेचना के दौरान अभियुक्त राजेन्द्र यादव, कमल नारायण को 09-01-2015 को गिरफ्तार कर रिमाण्ड पर जेल भेजा गया। अभियुक्त कमल नारायण पटेल की उपचार के दौरान जिला अस्पताल में 15-02-2015 को मौत हो गई।
0 न्यायालय ने दोषी पाया
प्रकरण के विचारण के दौरान प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रमाणित हुआ कि मृतक परदेशी राम यादव ने अभियुक्त राजेन्द्र यादव एवं अभियुक्त जवाहर लाल अग्रवाल एवं गवाह कमल नारायण (वर्तमान समय में मृतक) एवं मोहन लाल शर्मा (वर्तमान समय में मृतक) के साथ एक राय होकर रामसाय यादव के रूप में प्रतिरूपण करते हुये पीड़ित रामसाय उरॉव के साथ छल किया। छल-कपट एवं प्रतिरूपण द्वारा दोनों अभियुक्तगण अर्थात राजेन्द्र यादव एवं जवाहर लाल अग्रवाल द्वारा अन्य मृतकगणों के साथ एक राय होकर मूल्यवान प्रतिभूति अर्थात विक्रयनामा का कूटरचना द्वारा निर्माण किया गया। इस आधार पर विभिन्न धाराओं में विशेष न्यायाधीश(एक्ट्रोसिटी) जयदीप गर्ग ने सजा सुनाई है।

0 बच्चे का जाति प्रमाण पत्र बनवाने गया तब पता चला
पीड़ित रामसाय उरॉव अपने बच्चों की पढ़ाई के लिये जाति प्रमाण बनवाने तहसील कार्यालय कोरबा गया था जहाँ पर उसे पता लगा कि किसी व्यक्ति ने उसकी जमीन को अभियुक्त जवाहर लाल अग्रवाल को बेच दिया है। उसकी जमीन के विक्रेता का नाम रामसाय यादव लिखा हुआ है जबकि उसका नाम रामसाय उरॉव है। कलेक्टर ने उससे आवेदन लेकर उससे कहा था कि उसकी जमीन उसे वापिस मिल जायेगी। पीड़ित जरूरत पड़ने पर हस्ताक्षर करता है जबकि उसकी बिक्री संबंधी कागज में अंगूठा लगाया गया था। उसकी भूमि को गैर आदिवासी जमीन होना बताकर जवाहर लाल अग्रवाल के पास विक्रय कर दिया गया है। किसी अन्य व्यक्ति ने उसके स्थान पर अपना फोटो लगाकर और फर्जी कागज तैयार कर और झूठा गवाह प्रस्तुत कर रजिस्ट्री करवा दिया है।

0 कोरे कागज में पार्षद ने किया था हस्ताक्षर व सील

प्रकरण के एक गवाह ने बयान में अदालत को बताया था कि पाँच-छः साल पूर्व पार्षद करम सिंह यादव के घर सुबह सामाजिक मीटिंग के लिए बैठे थे तभी करीबन 11 बजे दादरखुर्द का राजेन्द्र यादव आया था और पार्षद को पंचनामा बनाने के लिए बोला था। उस समय राजेन्द्र यादव जमीन खरीदी बिकी करना है बोला था। तब पार्षद कोरा कागज में सील और हस्ताक्षर किया था एवं वहाँ पर मीटिंग में बैठे अन्य लोग भी हस्ताक्षर किये थे और उसने भी हस्ताक्षर किया था। राजेन्द्र यादव पंचनामा बाद में लिख लूंगा बोला था। उस समय राजेन्द्र यादव ने रामसाय यादव का जमीन बेचना है बताया था।

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