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महाकुंभ में गंगाजल की शुद्धता को लेकर “संदेह दूर करने” के लिए सरकार ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक का हवाला दिया

महाकुंभ नगर/लखनऊ, 21 फरवरी। उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति जारी कर एक वैज्ञानिक के हवाले से महाकुंभ में गंगा जल की शुद्धता के बारे में “संदेह को दूर” करने का प्रयास किया और कहा कि नदी का पानी “क्षारीय जल की तरह” शुद्ध है।

उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 13 जनवरी से प्रयागराज में जारी महाकुंभ में अब तक 58 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम त्रिवेणी संगम के जल में डुबकी लगाई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के संदर्भ में यह विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें महाकुंभ में गंगा जल की गुणवत्ता पर संदेह जताया गया था।

सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है, “प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय कुमार सोनकर ने संशयवादियों को चुनौती दी है और वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ गंगा की पवित्रता के बारे में संदेह को खारिज किया है।”

उत्तर प्रदेश सरकार की विज्ञप्ति में कहा गया है कि डॉ. सोनकर ने महाकुंभ नगर के संगम नोज और अरैल समेत पांच प्रमुख स्नान घाटों से पानी के नमूने एकत्र किए।

विज्ञप्ति में कहा गया है, “इसके बाद इन नमूनों की प्रयोगशाला में सूक्ष्म जांच की गई। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि करोड़ों श्रद्धालुओं के नदी में स्नान करने के बावजूद, पानी में न तो बैक्टीरिया की वृद्धि हुई और न ही पानी के पीएच स्तर में कोई गिरावट आई।”

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, डॉ. सोनकर के शोध से पता चला है कि गंगा जल में 1,100 प्रकार के प्राकृतिक वायरस ‘बैक्टीरियोफेज’ होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, डॉ. सोनकर के शोध से पता चला है कि गंगा जल में 1,100 प्रकार के प्राकृतिक वायरस ‘बैक्टीरियोफेज’ होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।

जल की गुणवत्ता पर विवाद उस समय शुरू हुआ जब सीपीसीबी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 13 जनवरी को जब महाकुंभ शुरू हुआ तो संगम पर नदी के जल की जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर थी।

सीपीसीबी के अनुसार मकर संक्रांति (14 जनवरी) को यह सुधरकर 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई और 15 जनवरी को और घटकर 1 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई। हालांकि, 24 जनवरी को यह बढ़कर 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को यह 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज की गई। (भाषा)

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