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फ्रेस होने गए IPS को अंधेरे में अकेला छोड़… लापरवाह अंगरक्षक और चालक कार लेकर चले गए… साहब 2 किलो मीटर पैदल चल पुलिस स्टेशन पहुंचे…फिर

ड्राइवर और बॉडीगार्ड मोबाइल में इस कदर व्यस्त थे की उन्हें लगा की साहब गाड़ी में बैठ गए..

पटना: बिहार सशस्त्र सीमा बल के कमांडेंट आईपीएस दीपक रंजन के साथ एक बड़ी लापरवाही की घटना सामने आई है। वह पटना से बोधगया जा रहे थे, जब उन्हें टॉयलेट जाना पड़ा। उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर गाड़ी रुकवाई और फ्रेश होने चले गए। उनके साथ उनके ड्राइवर और बॉडीगार्ड भी थे, लेकिन जब वह फ्रेश होकर वापस आए, तो गाड़ी वहां नहीं थी।

क्या हुआ था?

ड्राइवर और बॉडीगार्ड मोबाइल में व्यस्त थे और उन्हें लगा कि आईपीएस अधिकारी गाड़ी में बैठ चुके हैं। इसलिए उन्होंने गाड़ी स्टार्ट की और बोधगया की ओर बढ़ गए। आईपीएस अधिकारी को अंधेरे में छोड़ दिया गया था, और उनके पास मोबाइल और सामान भी नहीं था। उन्हें 2 किलोमीटर पैदल चलकर टेहटा थाना तक पहुंचना पड़ा। वहां उन्होंने पूरी घटना की जानकारी दी।

टेहटा थाना की मदद से पहुंचे गयाजी, फिर वापस लौटे अंगरक्षक

टेहटा थाना की पुलिस ने तुरंत स्थिति को गंभीरता से लिया और वरिष्ठ अधिकारी को अपने वाहन से गया रवाना किया। इस बीच जब वाहन बोधगया पहुंचा और अंगरक्षकों को पता चला कि अधिकारी गाड़ी में नहीं हैं तो उनके होश उड़ गए। इसके बाद वे लौटकर अधिकारी को लेने के लिए आए, लेकिन तब तक टेहटा थाना की गाड़ी अधिकारी को लेकर निकल चुकी थी। रास्ते में दोनों वाहनों का आमना-सामना हुआ और अधिकारी अपनी गाड़ी में बैठकर गयाजी पहुंचे।

कार्रवाई

इस मामले में उच्च स्तर से नाराजगी जाहिर की गई है, और दो अंगरक्षकों और चालक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। उच्च अधिकारी अब पूरे मामले की जांच कर रहे हैं और संबंधित विभाग को रिपोर्ट सौंपने की तैयारी चल रही है।

सवाल

यह घटना सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठा रही है। क्या अंगरक्षकों और चालक की लापरवाही के लिए उन्हें सस्पेंड करना ही काफी है, या इसके पीछे के कारणों की जांच भी की जानी चाहिए?

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