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नाबालिक से रेप,मॉब लिंचिंग में होगी फांसी, देश के खिलाफ़ बोलने पर जेल….

0 नए कानून पर लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कही यह बात

नई दिल्ली। लोक सभा में आज नए कानूनों पर चर्चा हुई. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीआरपीसी के 177 धाराओं में बदलाव हुआ है. 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं। 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है.
वहीं लोकसभा में अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, सीआरपीएसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट के बदले भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 को पेश किया। उन्होंने कहा इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने तीन कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उन तीनों कानूनों में पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं।
उन्होंने कहा कि Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था। उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी। CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी। और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है। जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए।तत्कालीन कानून विदेशी शासकों द्वारा अपना वर्चस्व बनाए रखने में मदद के लिए बनाए गए थे। नए कानून हमारे संविधान के मूल मूल्यों- व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सभी के लिए समान व्यवहार को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है मोदी सरकार, पहली बार भारतीय न्याय संहिता में दी गयी है आतंकवाद की व्याख्या।
राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में हुआ सफाया।अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून जिसके चलते तिलक, गांधी, पटेल समेत देश के कई सेनानी कई बार 6-6 साल जेल में रहे। वो कानून अब तक चलता रहा। पहली बार मोदी जी ने सरकार में आते ही ऐतिहासिक फैसला किया है, राजद्रोह की धारा 124 को खत्म कर ,इसे हटाने का काम किया। मैंने राजद्रोह की जगह उसे देशद्रोह कर दिया है। क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है। यह उनका अधिकार है। अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
अगर कोई सशस्त्र विरोध करता है, बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, उसे आजाद रहने का हक नहीं, उसे जेल जाना ही पड़ेगा। कुछ लोग इसे अपनी समझ के कपड़े पहनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन मैंने जो कहा उसे अच्छी तरह समझ लीजिए। देश का विरोध करने वाले को जेल जाना होगा।
मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं। लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए।मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून लेकर आयी मोदी सरकार। मॉब लिंचिंग की घटनाओं में आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड की सजा का किया गया है प्रावधान।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है।महिलाओं के प्रति अपराध पर अब कोई नहीं होगा समझौता। राज्य का सबसे पहला कर्तव्य न्याय होता है। न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका… लोकतंत्र के तीन स्तंम्भ हैं। हमारे संविधान निर्माताओं ने देश को मजबूत प्रशासन देने के लिए इन तीनों के बीच काम का बंटवारा किया। आज पहली बार ये तीनों मिलकर देश को दंड केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित क्रिमिनल सिस्टम देंगे।

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