कोल एंड स्टील माइंस संसदीय कमेटी की बैठक में कोरबा सांसद ने उठाए SECL के भूविस्थापितों व प्रभावितों की समस्याओं सहित कई मुद्दे, कहा शीघ्र निराकरण किया जाए
कोरबा:दिल्ली में कोल एंड स्टील माइंस कमेटी के चेयरमैन अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में कोरबा सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने कोरबा जिले में संचालित SECL की कोयला खदानों के भू विस्थापित, प्रभावितों की समस्याओं का निराकरण करने कमेटी को अपना सुझाव लिखित ज्ञापन के तौर पर सौंपा है।
सांसद ज्योत्सना महंत ने अपने ज्ञापन में कहा हैं कि एस ई सी एल कोयला खदान का उद्देश्य अधिक उत्पादन और ग्रामीणों को सुविधा देना है। कोरबा जिले में एसईसीएल की कुसमुंडा,गेवरा,दीपक और कोरबा खदान संचालित हैं। लेकिन स्पष्ट नीति विसंगतियों के कारण आए दिन ग्रामीणों और अधिकारियों के बीच टकराहट होते रहती है। ग्रामीण अपना आक्रोश खदान बंद कर निकालते है। जिससे एसईसीएल कोयले का उत्पादन भी प्रभावित होता है। ग्रामीणों को मुआवजा न मिलाना, मुआवजे पुराने दर पर मिलना, बसाहट, नौकरी न मिलाना, पूर्ण गांव का अधिग्रहण ना करना, आउटसोर्सिंग को बढ़ावा देना, सार्वजनिक विकास की दिशा में काम ना करना, पांचवें अनुसूची क्षेत्र में आने से पेशा एक्ट ग्राम सभा नियमो का पालन न करने से ग्रामीणों आक्रोश रहता है।
कुसमुंडा ,दीपका, कोरबा और गेवरा खदानों से संबंधित जैन समस्याओं को संज्ञान में लाते हुए निराकरण की पहल की दिशा में समिति को अवगत कराते हुए कहा की धारा 4,धारा 7, धारा 9 और धारा 11 के 12 से 14 वर्ष भी जाने के बाद भी ग्राम खेरभवाना,सोनपुरी,पड़निया और पाली को मुआवजा, नौकरी,बसाहट न मिलना आक्रोश का कारण है।सांसद श्रीमती महंत ने बताया कि ऐसी भूमि जिसे दस वर्ष पूरे हो चुके है अधिग्रहण प्रकाशन के आगे और दस बारह वर्ष लग सकते हैं ऐसे गांवों को धारा मुक्त कर खरीदी बिक्री से रोक हटाना चाहिए जिससे टकराहट से बचा जा सके।
श्रीमती महंत ने समिति को अपने सुझाव में कहा वन टाइम सेटलमेंट कर रोजगार के लंबित पुराने मामलों का जल्द से जल्द निराकरण किया जाए। अर्जन के बाद जन्म वाले प्रकरण एक खाता एक रोजगार नियम के विरुद्ध अलग अलग खाता का संयोजन से रोजगार से वंचितों को रोजगार दिया जावे । एसईसीएल में लागू कोल इंडिया पॉलिसी 2012 को वापस लिया जाए और हर खाते में स्थाई रोजगार नौकरी प्रदान किया जाए। चुकी वर्ष 2010 में इस पॉलिसी को अमल मिलने का फैसला लिया गया था। उसके पहले वर्ष 2004 2009 के अर्जन के मामले में सभी मूल खातेदार एवं पैतृक बंटवारे के खातेदारों को रोजगार दिया जाए(रोजगार के लालच में खरीदी गई जमीन को छोड़कर) तथा भू विस्थापित परिवारों के शेष बेरोजगार युवाओं को खदान परिक्षेत्र में वैकल्पिक रोजगार 100% व्यवस्था की जाए।
सांसद श्रीमती महंत ने यह भी कहा कि फंक्शनल डायरेक्टर्स मीटिंग के निर्णय पत्र क्रमांक SECL/BSP/CDA/242FD/Extracts/18-19-198 date 30/5/2018 को सराईपाली सहित सभी खदानों में लागू किया जाए।
बजट के लिए 10 डिसमिल जमीन, बजट की आवाज में 25 लख रुपए की राशि दी जाए। शासन के योजनाओं से प्राप्त पट्टों /शासकीय/ वन भूमि एवं भूमि पर बने मकान का मुआवजा एव 100% सोशलिज्म और बसाहट के पात्रता हेतु वर्तमान में प्रचलित नियमो में संशोधन कर समुचित लाभ दिया जाना चाहिए।
सांसद ने इस बात पर भी जोर दिया कि आशिक अधिग्रहण को रद्द कर गांव का संपूर्ण अर्जन किया जाना चाहिए। खदान बंद हो जाने या अनुपयोगी हो जाने की स्थिति में पुराने अर्जित भूमि को मूल खातेदारों को वापस करनी चाहिए। कोरबा एवं कुसमुंडा क्षेत्र में अर्जन करते समय जमीन को नीयत समय बाद मूल खातेदारों को वापस करने अथवा पुनः अर्जन की प्रक्रिया पूरी कर पुनर्वास नीति के अनुसार लाभ दिलाने की शर्तों पर कार्य किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा की वर्तमान में दीपिका, कुसमुंडा,गेवरा में लागू बसाहट के एवज में राशि, भू विस्थापित को टेंडर इत्यादि सुविधाओं को कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सराईपाली परियोजना एवं एसईसीएल के सभी क्षेत्रों में लागू किया जाना चाहिए।
सांसद श्रीमती महंत ने यह भी मुद्दा उठाया कि आउटसोर्सिंग कंपनियों में भू स्थापितों को 70% नियोजित करने एवं ठेका कामगारों को कोल इंडिया द्वारा निर्धारित वेतन सहित समाज सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
खदान विस्तार के लिए गांव के 20 मी सीमा तक खदान कार्य किया जा रहा है जो की खदान सुरक्षा महानिदेशालय एवं कॉल माइनिंग रेगुलेशन गाइड लाइन के 500 मीटर की दूरी पर खनन, ब्लास्टिंग के नियम का उल्लंघन है और जानमाल के लिए खतरा हैं अतः इस पर तत्काल रोक लगाई जाएं । इससे पूर्व में कई दुर्घटना हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि कोरबा में माइनिंग कॉलेज की स्थापना की जाए।उसका खर्च CSR मद से उठाया जाना चाहिए।
श्रीमती महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ भू अर्जन पुनर्वास नीति 2007, 2013 का पारन किया जाना चाहिए साथी नई पुनर्वास नीति बनाई जानी चाहिए।