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कांग्रेस से RSS तक का सफर, अरविन्द नेताम की नई पहल : संघ के मंच पर मोहन भागवत के साथ रहेंगे मौजूद

छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क:83 वर्षीय अरविंद नेताम, छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज के कद्दावर नेता और कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता, 5 जून को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। वे संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे। यह कार्यक्रम संघ के द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर आयोजित हो रहा है।

नेताम की संघ से जुड़ने की अटकलें

नेताम के संघ के कार्यक्रम में शामिल होने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के किसी दिग्गज नेता को संघ के कार्यक्रम में मंच मिला है। इससे पहले 2018 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी नागपुर में संघ के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उस वक्त उनकी उपस्थिति पर देशभर में तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई थी। हालांकि, प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में भारतीय राष्ट्रवाद की परिकल्पना को लेकर स्वतंत्र दृष्टिकोण रखते हुए ‘संविधान और सहिष्णुता’ की बात कही थी।

अरविंद नेताम का राजनीतिक सफर

अरविंद नेताम इंदिरा गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और लंबे समय तक कांग्रेस की आदिवासी राजनीति के महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते रहे हैं। वे मध्य प्रदेश (वर्तमान छत्तीसगढ़) से लोकसभा के सदस्य रहे और बस्तर अंचल में आदिवासी चेतना के एक सशक्त प्रतिनिधि के रूप में उनकी पहचान रही है।

अरविंद नेताम ने अगस्त 2023 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पार्टी में टिकट वितरण को लेकर आंतरिक असंतोष सामने आ रहा था। इसके बाद से वे औपचारिक रूप से किसी दल से नहीं जुड़े, लेकिन उनकी वैचारिक गतिविधियों पर नजर बनी रही।उन्होंने 2023 में कांग्रेस छोड़कर ‘हमर राज पार्टी’ की स्थापना की ।

हमने इंदिरा गांधी से भी कहा था…

2023 में कांग्रेस छोड़ते वक्त नेताम ने मंच से ऐलान किया था, “मैं आखिरी दम तक समाज की लड़ाई लडूंगा। किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा और न ही किसी से समझौता करूंगा। हमने इंदिरा गांधी से भी कहा था कि हम पहले आदिवासी हैं, फिर कांग्रेसी।” अब संघ के कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी ने नए राजनीतिक समीकरणों की अटकलें तेज कर दी हैं।

संघ की रणनीति में आदिवासी नेतृत्व की भूमिका

बता दे कि बीते कुछ सालों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आदिवासी समुदायों के बीच सक्रियता बढ़ा रहा है और कई राज्यों में वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठनों के माध्यम से जमीनी स्तर पर कार्य कर रहा है। ऐसे में अरविंद नेताम जैसे वयोवृद्ध और प्रतिष्ठित आदिवासी नेता की मंच पर मौजूदगी को संघ की आदिवासी नीति के एक प्रतीकात्मक विस्तार के रूप में देखा जा सकता है। यह उपस्थिति न सिर्फ संघ के लिए वैचारिक विविधता को दर्शाने वाली रणनीति है, बल्कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में आदिवासी राजनीति को पुनर्परिभाषित करने का प्रयास भी हो सकता है।

क्या संकेत दे रहे हैं नेताम?

अब अरविंद नेताम की संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करने की तैयारी को एक और वैचारिक खेमे के परिवर्तन या संवाद की प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नेताम इस कार्यक्रम में क्या विचार रखते हैं? क्या वे इसे सामाजिक समरसता के मंच के रूप में इस्तेमाल करेंगे या फिर संघ के वैचारिक विमर्श में किसी तरह की सहभागिता जताएंगे? छत्तीसगढ़ और समूचे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में राजनीतिक प्रभाव रखने वाले अरविंद नेताम की संघ कार्यक्रम में भागीदारी निश्चित रूप से केवल औपचारिकता नहीं मानी जा सकती। यह घटनाक्रम संघ की दीर्घकालिक रणनीति, कांग्रेस से टूटते रिश्तों और आदिवासी राजनीति में एक नए विमर्श की संभावित शुरुआत का संकेत हो सकता है।

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