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करिश्माई प्रत्याशी-कोरबा चुनावी तीर्थराज…!

0 शुरू से प्रदेशिक व राष्ट्रीय नेताओं का जमावड़ा, क्या कोई डर सता रहा है…?

00 तीर-ए-नजर 00

कोरबा। मुस्कुराइये, आप कोरबा लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हैं
क्योंकि कोरबा लोकसभा से भाजपा की राष्ट्रीय नेत्री चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा द्वारा बड़े ताम-झाम से प्रचार किया जा रहा है, उनका वीआईपी सर्वसुविधा, AC युक्त बस भी चर्चा में है। उन्हें करिश्माई प्रत्याशी बताया जा रहा है। कोरबा लोकसभा चुनावी तीर्थराज बन गया है जहां भाजपा के इतने सारे दिग्गज अपनी उपस्थिति दे रहे हैं, जो किसी अन्य क्षेत्र में नहीं।
चिरमिरी में बागेश्वर सरकार पधारे, कोरबा में योगी की सभा हो गई,सीएम साहब के भी दौरे हो रहे हैं व उनकी धर्म पत्नी से भी वोट अपील करा ली गई,अभी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी आने वाले हैं। इनके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय व प्रादेशिक नेताओं का गोपनीय आवागमन निरंतर लगा है। दो चरण के चुनाव से फ्री हुए मंत्री-विधायकों ने भी कोरबा को फोकस किया है,सिर्फ इसलिए कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुनाव लड़ रही हैं। लोगों को इससे ऐसा लगता है कि भाजपा के शीर्ष नेता कोरबा लोकसभा पर सशंकित हैं, सिर्फ मोदी के नाम पर मतदान की अपील कर रहे हैं,क्योंकि अपना खुद का बताने के लिए फिलहाल कुछ भी नहीं है।
वैसे, करिश्माई प्रत्याशी का अभी तक कोई भी दमदार करिश्मा कोरबा के लोगों ने नहीं देखा है। कोरबा की रेल सुविधा में कोई बदलाव या सुधार नहीं देखा गया। कोयला लदी मालगाड़ियां सरपट दौड़ रही हैं। दूसरी ओर यात्री ट्रेन या तो बंद हो जाती हैं या केन्सल हो जाती है या इतने विलंब से चलती हैं कि यात्री सिर पकड़ लेता है। रेत माफिया, कोल माफिया, डीजल माफिया, भू- माफिया, पीडीएस के चावल माफिया सभी सत्तापक्ष के नेताओं को उपकृत कर भाजपा नेताओं के आसपास अपनी उपस्थिति दर्शाकर निश्चिंत हो कर हेराफेरी में संलग्न हैं।
0 चुनावी मौसम में भी राहत नहीं मिली
भाजपा प्रत्याशी जो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ-साथ विभिन्न अलंकरण से शोभायमान हैं, गिनीज बुक में स्थान प्राप्त है, वे यात्री ट्रेन संचालन में दबावपूर्वक सुधार लाकर सुचारू रूप से यात्री ट्रेन चलाने केन्द्र पर दबाव बनाएं क्योंकि वे भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। आमजन को निर्धारित मूल्य में रेत सुलभ कराने शीर्ष प्रशासन पर दबाव बना कर कुछ करिश्मा तो दिखाएं। कोरबा के नागरिक सड़क जाम की समस्या से रोज घिरे रहते हैं, आज तक कोई समाधान नहीं निकला।
सरोज पांडेय प्रत्याशी के साथ-साथ बड़ा ओहदा भी रखती हैं,उनके एक इशारे पर जन सामान्य की तकलीफों का निवारण तो चुनावी मौसम में ही सही,कुछ हद तक हो सकता था पर नहीं हुआ। आज भी शहर से लेकर जिले में रेत माफिया सक्रिय हैं और घाट खुलने के बाद भी 1900-2000 रुपये में रेत खरीदना पड़ रहा है तो रेत घोटाला इनके भी राज में बदस्तूर कायम है। भाजपा विधायकों के इलाकों में तस्करी धड़ल्ले से हो रही है,सरकार की मंशा अनुरूप रोकते क्यों नहीं, तो फिर जनता के लिए रामराज्य कहाँ..?
0 राम ही तारणहार,मोदी मैजिक,लखन का भरोसा
भगवान राम शुरू से आस्था के साथ चुनावी मुद्दा बनकर रह गए हैं। पहले मंदिर बनाने के नाम पर और अब बन जाने के बाद भी मंदिर के नाम पर श्री राम के नाम/फोटो का सहारा लिया जा रहा है। आस्था वाले श्री राम का जयकारा सौम्यता का परिचायक है लेकिन जब यही नाम राजनीतिक तौर पर बोला जाता है तो इसमें आक्रामकता समाहित हो जाती है। बेशक,मंदिर निर्माण उपलब्धि जरूर है लेकिन आस्था को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना कितना उचित..? लेकिन भाजपा के लिए अभी राम ही तारणहार हैं। राम नाम के साथ पीएम मोदी का मैजिक और सूबे की सरकार में मंत्री, शहर विधायक लखन लाल देवांगन की लोकप्रियता को भुनाकर सांसदी हासिल करने की कवायद हो रही है। लेकिन इधर महंगाई डायन भी है, बेरोजगारी है औऱ किसानों का मसला भी राह मुश्किल किये हैं।
0 बाहरी, थप्पड़ काण्ड और खींचतान
जनश्रुतियों के मुताबिक कोरबा लोकसभा में भाजपा उम्मीदवार के लिए दूर के दूसरे जिले के कारण बाहरी होना एक बड़ा मुद्दा है जो चुनाव के अंत तक पीछा नहीं छोड़ेगा। दूसरा, थप्पड़ काण्ड करेले पर नीम चढ़ा की कहावत को चरितार्थ कर रहा है और यह काण्ड किसी न किसी कोने में भय जरूर पैदा कर रहा है। फिर भीड़ इतनी बढ़ गई है कि आंतरिक संतुलन गड़बड़ा गया है। तीसरा- कोई जरूरी नहीं कि जो दिख रहा है वही हकीकत हो, पर्दे के पीछे…. का तकियाकलाम यूं ही बदनाम नहीं है। रही सही कसर बहुत बड़ा कम्युनिकेशन गैप पूरी कर रहा है क्योंकि सारा तामझाम तो आयातित है जो अपने सामने स्थानीय को कुछ समझते नहीं, और स्थानीय दिग्गज अपनी-अपनी साख बचाने में लगे हैं, क्योंकि यहाँ राष्ट्रीय नेत्री चुनाव लड़ रही हैं। (सत्या पाल)

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