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इतिहास रचने के करीब अमित शाह… अब “लाल सलाम” का सपना हो रहा चकना चूर.. नक्सलवाद अंतिम सांसे गिन रहा है

पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर बीच में सुशील कुमार शिंदे और फिर बाद में राजनाथ सिंह समेत 30 नेता गृह मंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं, लेकिन देश के 31 गृह मंत्री अमित शाह के दूसरे कार्यकाल में नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार प्रभावी तौर पर नक्सलियों का प्रभाव सिर्फ आधा दर्जन जिलों में रह गया है।नक्सलियों के एनकाउंटर ने लाल सलाम का सपना बुनने वालों के अरमानों के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी है।

इतिहास रचने के करीब शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नक्सलियों के बड़े नेता बसवराजू के मारे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की है। उन्होंने लिखा है कि नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि। आज, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऑपरेशन में, हमारे सुरक्षा बलों ने 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया है, जिनमें सीपीआई-माओवादी के महासचिव, शीर्ष नेता और नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल हैं। नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि हमारे बलों द्वारा एक महासचिव स्तर के नेता को मार गिराया गया है। मैं इस बड़ी सफलता के लिए हमारे बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना करता हूं। यह बताते हुए भी खुशी हो रही है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। केंद्रीय गृह मंत्री के संकल्प में छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने समर्थन दिया है।

क्यों सफल हुए अमित शाह?

अमित शाह ने भले ही नक्सलियों के कमरतोड़ने का श्रेय सुरक्षाबलों को दिया है लेकिन एक बड़ा क्रेडिट उनका भी है। उन्होंने लगातार लाल सलाम को खत्म पर न सिर्फ अपना संकल्प व्यक्त किया। बल्कि सुरक्षाबलों को छूट देने के साथ उन्हें हर तरह का समर्थन दिया। पिछली बार जब नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली थी तब गृह मंत्री अमित शाह खुद वहां पहुंचे थे। गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 में ही नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा था। अब सरकार मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने की योजना बना रही है। अमित शाह ने 2019 में गृह मंत्री बनते ही नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने का मिशन शुरू किया था। उनकी योजना थी कि सुरक्षा बलों को नक्सल प्रभावित इलाकों में भेजा जाए। इन इलाकों में पहले कभी प्रशासन या पुलिस नहीं पहुंची थी। सरकार का मकसद था कि इन इलाकों के लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिले। शाह की यह रणनीति सफल रही।

अब तक 200 से ज्यादा नक्सवादी हुए ढेर

साल 2025 में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है। शुरुआत में पांच महीने में ही 200 से अधिक नक्सलवादी मारे जा चुके हैं। यही वजह है कि नक्सलियों के बीच पहली बार खलबली देखी जा रही है। कुछ दिन पहले एक विस्फोट में तेलंगाना के कुछ कमांडो मारे गए थे। गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नक्सलवाद के खिलाफ यह लड़ाई रुकेगी नहीं, क्योंकि मध्यप्रदेश के एक छोटे हिस्से के साथ तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के बॉर्डर पर इनकी उपस्थिति बची है। कुछ जिले ओडिशा में प्रभावित हैं। कुछ जिले झारखंड में बचे हैं जहां लाल सलाम की उपस्थिति है। झारखंड और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों में बीजेपी ही सत्ता में है। ऐसे में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अगले कुछ दिनों में निर्णायक दौर में होगी। इस समस्या के अंत में केंद्र को तेलंगाना और झारखंड भी सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब देश में नक्सलवाद की समस्या दूर होगी। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर अमित शाह का नाम इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हाेगा।

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