0 जीएम के गैर जिम्मेदाराना रवैया से सांसद नाराज
कोरबा। एसईसीएल की कोरबा जिला स्थित कुसमुंडा खदान में हुए हादसे में असिस्टेंट मैनेजर माइनिंग जितेंद्र नागरकर की भारी बारिश के पानी और मलबा के साथ बह जाने के कारण मौत के लिए स्व. नागरकर को ही दोषी ठहराया गया है। एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना के महाप्रबंधक राजीव सिंह के द्वारा एक विभागीय पत्र 29 जुलाई को जारी किया गया जिसमें घटना के वक्त स्व. नागरकर को मोबाइल पर गेम खेलने के कारण हादसा हो जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। जीएम ने सभी कर्मचारियों को कार्य के दौरान मोबाइल चलाते पाये जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही है।
कुसमुंडा महाप्रबंधक के इस निर्देश और हादसे के संबंध में दिए गए तर्क को लेकर कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी को इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान शोभा नहीं देता। उन्हें तो इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और घटनास्थल क्षेत्र में पानी भरने के साथ-साथ ओवरबर्डन का मलबा इतने पैमाने पर क्यों जाम रहा, समय पर ह्यूम पाईप्स की सफाई में किसकी लापरवाही हुई? आदि बिन्दुओं पर गहन जांच-पड़ताल कराने के बजाय लीपापोती की गई है। कुसमुंडा महाप्रबंधक के अधीन कार्यरत एक अधिकारी की मौत हुई है और वे उसके द्वारा उस वक्त मोबाइल पर गेम खेलने की बात कह रहे हैं जब उस अधिकारी के साथ-साथ वहां मौजूद अन्य अधिकारियों की जान आफत में थी। मानवीय दृष्टिकोण से भी सोचा जाये तो इस तरह का तर्क महाप्रबंधक को जिस किसी ने भी सुझाया है, वह भी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए।
सांसद ने कहा है कि कुसमुंडा महाप्रबंधक और उनका प्रबंधन कहीं न कहीं हादसे के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं। यह अपने आप में चौंकाने वाला है कि खदान की हर छोटी-बड़ी दुर्घटना की जांच डीजीएमएस की टीम करती है, फिर इस तरह से आनन-फानन में किस जांच का हवाला दे कर महाप्रबंधक युवा अधिकारी को उसकी अपनी मौत का जिम्मेदार बता रहे हैं? सांसद ने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि ओवर बर्डन का ठेका जिस कंपनी को दिया गया है,उसके द्वारा बरती गई सुरक्षा नियमों की अनदेखी और उसके कार्यों पर पर्दा डालने का कार्य प्रबंधन द्वारा महाप्रबंधक के हवाले से किया जा रहा है।
सांसद ने कहा है कि इस तरह की संदिग्ध परिस्थितियों में घटना की कथित तौर पर प्रारंभिक जांच और स्वयं महाप्रबंधक संदेहास्पद हो जाते हैं इसलिए जरूरी है कि पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच के लिए महाप्रबंधक राजीव सिंह का तबादला सबसे पहले करना चाहिए और डीजीएमएस से पूरी जांच कराई जाए। सांसद ने इस मामले पर कोल इंडिया के अधिकारियों को भी इस संबंध में शिकायत की है।