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RTO में राज्य सेवा संवर्ग के अफसरों की पोस्टिंग को हाईकोर्ट में चुनौती, राज्य शासन को नोटिस जारी…

बिलासपुर। ऊंची पहुंच के जरिये अथवा अनुचित तौर तरीके से क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ( RTO ) में राज्य सेवा संवर्ग के अधिकारियों संयुक्त कलेक्टर व डिप्टी कलेक्टरों को सीनियर आरटीओ के पद पर प्रतिनियुक्ति व पदस्थापना किए जाने के राज्य शासन के आदेश को चुनौती देते हुए परिवहन विभाग में कार्यरत अधिकारियों ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है।

जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग में कार्यरत अमित प्रकाश कश्यप, गौरव साहू, विवेक सिन्हा, एस.एल. लाकड़ा, सीएल. देवांगन, रविन्द्र कुमार ठाकुर एवं अन्य ने अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर परिवहन विभाग में राज्य सेवा संवर्ग के अधिकारियों संयुक्त कलेक्टर व डिप्टी कलेक्टर की सीनियर आरटीओ के पद पर प्रतिनियुक्ति व पदस्थापना का विरोध किया है। याचिका के अनुसार वे सभी सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (ARTO), क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO), तकनीकी अधिकारी एवं सहायक परिवहन आयुक्त जैसे पदों पर कार्यरत हैं। विभाग में पदोन्नति और पद पाने का अधिकार सबसे पहले उनको है। राज्य सेवा संवर्ग के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति या पदस्थापना के चलते वह अपने अधिकार से लगातार वंचित हो रहे हैं।

ना डिग्री, ना अनुभव, हो गई नियुक्ति

हाईकोर्ट में दाखिल में कहा गया है कि वे सभी मैकेनिकल या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की योग्यता रखते हैं। यह योग्यता, छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग अधीनस्थ श्रेणी-III (कार्यपालिक) सेवा भर्ती नियम, 2008 और छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग (गजटेड) सेवा भर्ती नियम, 2010 के अनुसार इन पदों के लिए अनिवार्य है। याचिका के अनुसार राज्य शासन द्वारा बार-बार इन स्पष्ट नियमों को अनदेखा कर राज्य प्रशासनिक सेवा (SAS) के अधिकारियों संयुक्त कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर को आरटीओ और एसआरटीओ जैसे तकनीकी पदों पर प्रतिनियुक्ति व पदस्थापना दी जा रही है, जबकि उनके पास पद अनुरूप योग्यता एवं प्रशिक्षण (अनुभव) नहीं है।

नियम विरुद्ध नियुक्ति से सीनियर अफसरों की पदोन्नति प्रभावित

हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता सिद्धीकी ने कहा कि परिवहन विभाग का कार्य अत्यंत तकनीकी प्रकृति का है। जिसमें वाहन परीक्षण, सड़क सुरक्षा, मोटरयान अधिनियमों का क्रियान्वयन और यांत्रिक निरीक्षण जैसे कार्य शामिल हैं। इन कार्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु संबंधित अधिकारी का प्रशिक्षित होना आवश्यक है। ऐसे में नियम विरुद्ध नियुक्ति देकर योग्य और वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों की पदोन्नति रोकी जा रही है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में प्रदत्त समानता और समान अवसर के अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस बीडी गुरु ने सामान्य प्रशासन विभाग, सचिव एवं परिवहन आयुक्त, परिवहन विभाग के आला अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब पेश करने के लिए कोर्ट ने अफसरों को चार सप्ताह की मोहलत दी है।

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