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KORBA में ये क्या बोल गए अमित शाह,तलाशे जा रहे मायने…देखें VIDEO

0 जनता के मुद्दे, महंगाई-बेरोजगारी-किसान-मजदूर रहे गायब

कोरबा। कोरबा लोकसभा में मुकाबला काफी टक्कर का हो गया है। भाजपा की राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय और पार्टी के तमाम नेताओं से लेकर पदाधिकारियों, मंत्रियों की प्रतिष्ठा यहां दॉव पर लग चुकी है। कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के साथ नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने स्वयं मोर्चा संभालकर मुकाबले को बहुत ही कांटे का कर दिया है। इस टक्कर में आखिरकार भाजपा यह मान चुकी है कि सीट निकालना काफी कठिन है।

चुनावी सभा को संबोधित करने कोरबा जिले के कटघोरा मेला ग्राउंड में बुधवार को पहुंचे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने 24 मिनट 41 सेकंड के संबोधन में जो कहा उससे राजनैतिक गलियारे में हलचल तेज हो गई है और इस संक्षिप्त बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं तो विश्लेषक इसका अर्थ भी तलाश रहे हैं।

अमित शाह ने कोरबा को कठिन सीट मान लिया है। विधानसभा चुनाव में तो उन्होंने कोरबा को कठिन सीट नहीं बताया लेकिन यह जरूर कहा कि लखनलाल का भविष्य उज्जवल है। यहां एंटी-इन्कम्बेंसी काम कर गई और लखनलाल के राजनीतिक सितारे बुलंदी पर पहुंच गए। दूसरी तरफ बुधवार को अमित शाह ने जो कि भाजपा की राजनीति के चाणक्य कहे जाते हैं, जब उन्होंने कोरबा को कठिन सीट स्वीकारा और इसी लिए राष्ट्रीय नेत्री को यहां से चुनाव लड़ाने की बात कही, इसके बाद से राजनीतिक फिजा मेेंं यह चर्चा गर्म हो चली है कि दिल्ली के नेता भी कहीं न कहीं इस सीट को अपने हाथ से जाता मान बैठे हैं। अब सीधे तौर पर तो कोई बात नहीं कही जा सकती, लेकिन इशारों में बहुत कुछ कह दिया है। उन्होंने अपने भाषण में देश के ज्वलंत मुद्दों, महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, युवाओं के पास रोजगार नहीं होने, किसानों के मुद्दों और इनसे जुड़ी बातों को लेकर किसी भी तरह का जिक्र तक नहीं किया।

भगवान राम का मंदिर निर्माण, प्राण प्रतिष्ठा, आरक्षण, नक्सलवाद, धारा 370 की समाप्ति, नल-जल योजना, प्रधानमंत्री आवास पर बातें करके चले गए। अमित शाह कोरबा से जाते-जाते लोगों के दिलों यह बात जरूर घर कर गए कि जब वे खुद कोरबा को कठिन सीट मान रहे हैं तो भला स्थानीय नेताओं की क्या बिसात।

0 कटघोरा को लेकर इशारे की थी उम्मीद,नाम तक नहीं लिए

इस समय डबल इंजन की सरकार है। दिल्ली में भी भाजपा और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा। चुनावी मौसम में कटघोरावासियों को लगा था कि अमित शाह घोषणा न सही कम से कम इशारा तो कर देंगे की जल्द ही कटघोरा को नया जिला बनाया जाएगा लेकिन इस तरह का इशारा तो दूर केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में कटघोरा का जिक्र तक नहीं किया।

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