KORBA: भोर से छठ घाट छठी मईया और सूर्य देवता के जयकारों से गूंजते रहे ..उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ , व्रतियों ने 36 घंटे बाद खोला अपना व्रत
“उग हे सूरज देव, भइल भिनसरवा… अरघ के रे गेरवा, पूजन के रे बेरवा हो’… छठ घाटों पर शुक्रवार भोर से ही हर किसी की जुबां पर यही गीत सुनाई दिया”
कोरबा:सनातन धर्म के इस महापर्व में अस्त और उदय होते सूर्य की पूजा पूरे विधान से की जाती है। कोरबा में जीवनदायिनी हसदेव नदी के तट पर व्रतियों ने कल अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया था और आज उगते सूरज की उपासना की।
‘उग हे सूरज देव, भइल भिनसरवा… अरघ के रे गेरवा, पूजन के रे बेरवा हो’… छठ घाटों पर शुक्रवार भोर से ही हर किसी की जुबां पर यही गीत सुनाई दिया। छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि की कामना की।
लोक आस्था के महापर्व छठ का शुक्रवार को चौथा और अंतिम दिन रहा. कोरबा के अलावा भी अनेक घाटों में गुरुवार और शुक्रवार को छठ पूजा पर भगवान भूवन भास्कर को प्रथम और सुबह दूसरा अर्घ्य दिया गया.
कोरबा में इन घाटों पर मनाया गया छठ:
छठ पर्व के लिए विशेष रूप से सजाए गए , सर्वमंगला मंदिर हसदेव नदी, तुलसी नगर घाट,मुड़ापार तालाब, शिवमंदिर एसईसीएल, मानिकपुर पोखरी, बालको, दर्री, बांकीमोंगरा, ढेंगुरनाला, कुसमुंडा ,गेवरा-दीपका में बड़ी संख्या में लोगों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. घाटों पर आतिशबाजी कर खुशियां मनाई गई. अपूर्व आस्था, समर्पण व श्रद्धा का पावन पर्व सूर्य षष्ठी छठ महापर्व मनाया गया.
जिले में छठ पूजा का समापन हो गया. व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास खत्म किया. यह पर्व सूर्य उपासना के लिए मनाया जाता है, जिसमें व्रती सूर्य की आराधना करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं. छठ पूजा का व्रत सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियव्रत ने छठ व्रत रखा था और कुष्ट रोग से मुक्ति पाई थी. भगवान भास्कर की आराधना से व्रती अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
महिलाओं ने छठी मईया की पूजा कर सूर्य देवता की आरती की। चारों ओर छठी मईया और सूर्य देवता के जयकारों की गूंज रही।
