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KORBA:सड़क का मामला हाईकोर्ट पहुंचा,अभिनव कंस्ट्रक्शन vs नगर निगम

0 अमानत राशि राजसात करने के मामले में 4 याचिका पेश की गई
कोरबा। नगर पालिक निगम कोरबा क्षेत्र अंतर्गत निर्मित चार अलग-अलग सड़कों के उखड़ने व मरम्मत के मामले में नगर निगम आयुक्त के द्वारा अभिनव कंस्ट्रक्शन कंपनी की अमानत राशि को राजसात कर लिया गया है। इस संबंध में जारी आदेश से क्षुब्ध होकर ठेका कंपनी के द्वारा बिलासपुर हाईकोर्ट में चार अलग-अलग याचिका दायर कर दी गई है। नगर निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगाई को मुख्य पार्टी बनाया गया है।
नगर निगम आयुक्त पर इस बात का आरोप है कि उनके द्वारा परफॉर्मेंस गारंटी की अवधि पूरी होने के बाद राशि राजसात करने की कार्रवाई की गई और इसके संबंध में बैक डेट में नोटिस जारी की गई है। एमपी नगर, मुड़ापार, सीएसईबी चौक से टीपी नगर के मध्य व एक अन्य सड़क का निर्माण अभिनव कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा कराया गया था। कंपनी के कर्ताधर्ता का कहना है की परफॉर्मेंस गारंटी की अवधि 3 साल की थी और 3 साल 3 महीना पूरा होने के बाद उसे मरम्मत कार्य के लिए कहा जा रहा था जबकि उसने अवधि पूरी होने से पहले निगम के आदेश अनुसार मरम्मत कार्य कराया था लेकिन अवधि पूरी होने के बाद जब उसने अपनी जमा अमानत राशि मांगने के लिए पत्र व्यवहार किया तो जानबूझकर बैक डेट की नोटिस का सहारा लेकर राशि राजसात कर ली गई है जो की उचित नहीं है। यह भी बताया कि नगर निगम द्वारा ठेका कम्पनी के नाम जारी किए गए जिस नोटिस का हवाला दिया जा रहा है, वह नोटिस उसे प्राप्त ही नहीं हुई है और जब नोटिस प्राप्त नहीं हुई तो उसे इसके संबंध में जानकारी कहां से होगी?
इस पूरे मामले को लेकर याचिका दायर करने के बाद नगर निगम के गलियारे में खलबली मची हुई है।
0 आरटीआई में भी लापरवाही
बता दें कि नगर निगम में सूचना का अधिकार अधिनियम का भी सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है। मांगी जाने वाली जानकारी को बेवजह तीन से चार महीने तक लटकाया जाता है। प्रथम अपीलीय अधिकारी स्वयं आयुक्त हैं लेकिन उन्होंने इसका प्रभार एमके वर्मा को दे रखा है। श्री वर्मा पर सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया जाता रहा है। नगर निगम में कामकाज को लेकर ठेकेदार अक्सर व्यवस्था को निशाने पर रखते रहे हैं बावजूद इसके व्यवस्था सुधारने की बजाय और बिगड़ती जा रही है, जिसमें कहीं ना कहीं पुराने और वर्षों से जमे अधिकारियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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