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Chhattisgarh में सबसे बड़ा हसदेव बांगो बांध.. ढाई लाख हेक्टेयर में सिंचाई और 14 उद्योगों को दे रहा पानी.. 32 साल बाद मरम्मत की जरूरत पड़ी

कोरबा । 32 साल तक निरंतर सिंचाई और उघोगो को पानी प्रदान करने वाला हसदेव बांगो बांध को पहली बार मरम्मत की जरूरत पड़ी.आज भी यह बांध प्रदेश की शान है.बांगो के पानी से ही बिजली का उत्पादन हो रहा है। एनटीपीसी, सीएसबीई , बालको, एसईसीएल, इंडियन ऑयल को बांगो से पानी मिलता है। पेयजल के लिए भी निगम को पानी दे रहा हैं।

बता दे की प्रदेश के सबसे बड़े बांध हसदेव बांगो बांध की 32 साल बाद पहली बार मरम्मत कराई जाएगी। इसके लिए 4 करोड़ 20 लाख की मंजूरी भी मिल चुकी है। संबंधित विभाग ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी हैं। बांध के नीचे गेट के साथ ही बकेट की भी मरम्मत होगी, ताकि पानी का प्रवाह तेजी से हो सके।


जानकारी के अनुसार बांगो बांध का निर्माण वर्ष 1992 में पूरा हुआ। बांध की अधिकतम जलस्तर क्षमता 359.66 मीटर है। जलभराव क्षमता 2894 मिलियन घन मीटर है। प्रदेश के 11 बड़े बांधों की क्षमता मिला दिया जाए तो उससे भी बांगो की क्षमता डबल है। क्षमता में दूसरे नंबर का बांध गंगरेल को माना जाता है, जिसकी क्षमता 767 मिलियन घन मीटर है। बांध में अभी सिंचाई के लिए पानी देने के बाद भी 88 प्रतिशत पानी का भराव है। जब से बांध बना है, तब से इसकी एक बार भी मरम्मत नहीं हो पाई है। 15 साल से रेडियल गेटों की पोताई नहीं हुई है। यह गेट पानी में डूबे रहते हैं। इस वजह से जंग लगने से बचने के लिए पोताई जरूरी होती है।
मानसून शुरू होने के पहले ओवर ऑयलिंग के साथ गेट को खोलकर टेस्टिंग जरूर की जाती है, ताकि समय आने पर गेट खोलने में किसी तरह की परेशानी ना हो। इस साल भी बांगो के लबालब होने पर अगस्त के अंतिम सप्ताह में 11 में से 6 गेट को खोल दिया था। जलस्तर कम होने पर 3 दिन बाद गेट को बंद किया गया। अभी भी कोरिया क्षेत्र में अधिक बारिश होने पर पानी की आवक बढ़ी हुई है। इस वजह से जलस्तर भी बढ़ रहा है।

ढाई लाख हेक्टेयर में सिंचाई 14 उद्योगों को दे रहा पानी

बांगो बांध की खरीफ में सिंचाई क्षमता ढाई लाख हेक्टेयर है। इसी तरह 14 उद्योगों को भी पानी दे रहे हैं। बांगो के पानी से ही बिजली उत्पादन हो रहा है। एनटीपीसी, बिजली उत्पादन कंपनी, बालको, एसईसीएल, इंडियन ऑयल को भी पानी मिलता है। पेयजल के लिए भी निगम को पानी दे रहे हैं।

दर्री बराज के रेग्युलेटर गेटों की मरम्मत के लिए 3 करोड़ रुपए की मिली मंजूरी

हसदेव दर्री बराज का निर्माण 1964-65 में बांगो बांध से 8 किलोमीटर नीचे किया गया है। इसके रेग्युलेटर गेटों के साथ ही बराज की मरम्मत कराई जाएगी। इसके लिए 3 करोड़ की मंजूरी मिलने के बाद टेंडर की की प्रक्रिया शुरू की गई है। बराज से ही सिंचाई के लिए नहर निकली है।

बांध की मरम्मत के लिए टेंडर की प्रक्रिया जारी :

कार्यपालन अभियंता एस.के. तिवारी
हसदेव बांगो परियोजना के कार्यपालन अभियंता एस.के. तिवारी का कहना है कि जब से बांध बना है, इसकी मरम्मत नहीं हुई है। शासन से राशि की मंजूरी मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए बड़ी कंपनियां ही रुचि लेती है। प्रयास किया जा रहा है कि इस साल काम शुरू हो जाए।

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