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72 घंटे में धान उठाव का अनुबंध ताक पर,समितियों मेें सूखत और अब पानी से आफत

0 कोरबा में 24 जनवरी के बाद नहीं काटा गया डीओ, मिलरों की मनमानी, डीएमओ उदासीन
कोरबा। कोरबा जिले में धान का उठाव अपेक्षित गति से नहीं होने के कारण उपार्जन समितियां पशोपेश में हैं। मौसम में बदलाव की मार से पहले धान के सूखने का जहां खतरा मंडराता रहा वहीं अब बदले मौसम में बारिश ने परेशान कर दिया है। दोनों ही हालातों में समितियों पर मुसीबत मंडरा रही है और इसकी एकमात्र वजह धान खरीदी के 72 घंटे के भीतर उपार्जन केन्द्र से धान का उठाव करने के संबंध में समिति और विपणन संघ के बीच हुए अनुबंध का पालन नहीं होना है। नियमत: डीओ कटने के 10 दिन के भीतर धान का उठाव करने का प्रावधान है और यदि इससे एक दिन भी ज्यादा हुआ तो विपणन विभाग द्वारा संबंधित मिलर पर पेनाल्टी का नियम है। दूसरी ओर उपार्जन केन्द्रों से धान का उठाव समय पर नहीं होने से धूप में धान सूखने के कारण उठाव के वक्त उसका वजन कम होने से सूखत की भरपाई समितियों से कराई जाती है, जो समिति पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ होता है। बताया जा रहा है कि 24 जनवरी के बाद से मिलरों को डीओ जारी नहीं किया गया है जिसके कारण उपार्जन केन्द्रों में धान जाम हो गया है। इस संबंध में बार-बार जिला प्रशासन और जिला मार्कफेड अधिकारी का ध्यानाकर्षण कराने के बावजूद धान का उठाव के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है और उपार्जन समितियों की जान सांसत में है।
0 जिले भर में 5 लाख 16 हजार 712 क्विंटल धान जाम
जिले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुल 65 उपार्जन केन्द्रों में कुल 5 लाख 16 हजार 712 क्विंटल धान की मात्रा आज भी शेष है। इन 65 उपार्जन समितियों में कुल 28 लाख 67 हजार 331.60 क्विंटल धान की खरीदी की गई। इसके विरुद्ध 23 लाख 50 हजार 619.60 क्विंटल धान का उठाव हो पाया है और 5 लाख 16 हजार 712 क्विंटल धान अब भी उपार्जन केन्द्रों में उठाव की राह ताक रहा है। अधिकांश उपार्जन केन्द्रों में धान रखने के लिए ड्रेनेज (पक्का चबूतरा) नहीं बनाया गया है जिससे धान जमीन पर मौजूद है। हालांकि इसके ऊपर तिरपाल/प्लास्टिक डालकर ढंक दिया गया है किन्तु बारिश का पानी सतह पर मौजूद धान का नुकसान पहुंचाएगा। बारिश न हुई तो भी गर्मी में धान सूखने लगेगा। इन दोनों हालातों में नुकसान समितियों को ही उठाना है जिससे वे चिंतित हैं।

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