40 लाख की नौकरी छोड़कर बने नागा साधू, महाकुंभ के ये संत बोलते हैं फर्राटेदार अंग्रेजी,शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत
महाकुंभ:पंद्रह साल पहले हरिद्वार में नागा साधुओं के वैभव और उनकी आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर मल्टीनेशनल कंपनी के सालाना 40 लाख रुपए पैकेज वाली नौकरी को छोड़ कर संन्यास की दीक्षा लेने वाले दिनगंबर कृष्ण गिरी निरंजन अखाड़े के नागा संत हैं।
वे भी प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचे हुए हैं । यहां हजारों की संख्या में नागा साधुओं ने डेरा जमा रखा है । लेकिन नागा संत दिगम्बर कृष्ण गिरी इस भीड़ से सबसे अलग है। वह अखाड़े के बाहर सड़क किनारे छोटे से तंबू में धूनी लगाए बैठे हुए हैं।
जब वे फर्राटेदार इंग्लिश बोलते हैं तो सब उन्हें निहारते ही रह जाते है।
55 साल के नागा संन्यासी दिगंबर कृष्ण गिरि मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं. कर्नाटक यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. वह एम टेक में टॉपर थे, उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में नौकरी की. साल 2010 में उन्हें सालाना 40 लाख रुपये का पैकेज मिला हुआ था. यानी हर महीने तकरीबन साढ़े तीन लाख रुपए तनख्वाह मिलती थी.
बता दे कि साल 2010 में जब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हो रहा था, तब उन्हें एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वहां जाने का मौका मिला था. यहां वह नागा संन्यासियों के धर्म के प्रति उनके समर्पण से इतना प्रभावित हुए कि इन्होंने सुख सुविधा और वैभव वाली नौकरी को छोड़कर बाकी का बचा हुआ जीवन सनातन को समर्पित करने का फैसला कर लिया. पहले उन्होंने कुछ दिनों शैव संप्रदाय के निरंजनी अखाड़े के नागा संतो के बीच उनकी सेवा करते हुए बिताया, फिर खुद भी सब कुछ त्याग कर जीते जी अपने हाथों अपना पिंडदान करते हुए संन्यास की दीक्षा ले ली.
सन्यास धारण करने के बाद उन्हें फक्कड़ जिंदगी बितानी पड़ रही है, लेकिन जिंदगी पूरी तरह आनंदित और उल्लासित करती है. अब ना तो कुछ पाने की लालसा है और ना ही कुछ खोने का गम. उनके मुताबिक परिवार वालों से संबंध सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गया है.
नागा संत दिगम्बर कृष्ण गिरी का पूरा दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना में बीतता है. खुद के बीते हुए जीवन के बारे में ना तो किसी को बताते हैं और ना ही उस बारे में ज्यादा चर्चा करना पसंद करते हैं. उनका कहना है कि वह शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत हैं. बाकी का बचा हुआ जीवन भी सनातन की सेवा और उसकी रक्षा करने में बिताना चाहते हैं.
