समीक्षा में BJP ने कोरबा सहित 4 सीटों को माना कमजोर, कांग्रेस 5 सीट जीतने के दावे पर कायम…
रायपुर/कोरबा। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में चुनावी सभा को संबोधित करने कोरबा आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं कोरबा को कठिन सीट माना था। मतदान संपन्न होने के बाद समीक्षा के दौर में भी यह सीट बीजेपी कठिन मान कर चल रही है। जनचर्चाओं व राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कोरबा सीट भाजपा के हाथ से जाती दिख रही है और यहां कांग्रेस दुबारा काबिज होगी, इसके प्रबल आसार बने हुये हैं।
छतीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर मतदान सम्पन्न होने के बाद राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस जो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं, ने समीक्षा दौर शुरू कर दिया है। समीक्षा के बाद दोनो पार्टी को पूरी की पूरी 11 सीट नहीं मिल रही है। मतदान से पहले जो दावे किए जा रहे थे अब उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा लग रहा है।
छत्तीसगढ़ में अब आंतरिक रूप से सर्वे और जिम्मेदारों के साथ बैठक लेकर समीक्षा का दौर शुरू हो चला है। भाजपा शुरू से ही 11 सीटों पर जीत का दावा कर रही है, तो वहीं कमजोर सीटों पर जमकर फोकस भी करती नजर आई है । सूत्रों के अनुसार भाजपा ने चार सीटों को कमजोर माना था जिसमें कोरबा, जांजगीर-चाँपा, कांकेर और राजनांदगांव लोकसभा सीट है। पहले दिन से ही मतदान होते तक पूरी ताकत झोंकी गई थी, लेकिन यह कहा जा रहा है कि समीक्षा के दौरान भाजपा कांकेर लोकसभा सीट को अभी भी कमजोर मान रही है । डिप्टी सीएम अरुण साव का कहना है कि हर चुनाव के बाद समीक्षा की जाती है। हमने हर स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं से चर्चा की है। उसके बाद हम दावा कर रहे हैं कि हम 11 की 11 सीटें जीतेंगे ।
0 कांग्रेस का दावा 5 सीटें आसानी से जीत रहे
भाजपा जहां संगठनात्मक स्तर पर समीक्षा कर रही है, तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस भी फीडबैक लेने में जुट गई है। इतना ही नहीं विधायक, पूर्व विधायक और निचले स्तर के पदाधिकारियों से चर्चा कर ब्यौरा मांगा गया। कांग्रेस दावा कर रही है कि वह 11 में से 5 सीटें आसानी से जीत रही है, जिसमे कांकेर, राजनंदगांव ,कोरबा, जांजगीर चांपा और बस्तर है। जांजगीर-चांपा के कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी शिवकुमार डहरिया ने छत्तीसगढ़ मे मतदान के बाद आंतरिक आंकलन को लेकर कहा कि लोगों का रिस्पॉन्स के आधार पर मूल्यांकन किया है ।
दोनों ही पार्टियों की समीक्षा के बाद जो बात सामने आई है उसमें दोनों ही पार्टियों को 11 सीट नहीं मिल रही है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के दावे कितने पुख्ता साबित होंगे, यह तो 4 जून को ही स्पष्ट होगा।