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लोक संस्कृति से जोड़ने भोजली तिहार का भव्य आयोजन,महिलाओं का कर्मा नर्तक दल रहा आकर्षण…

0 छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने निकाली भव्य रैली,उमड़े हजारों लोग

कोरबा। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना, कोरबा द्वारा भोजली तिहार के अवसर पर भव्य भोजली रैली का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़ का लोक पर्व खेती-किसानी से जुड़ कर लोगों में एक-दूसरे के साथ और ज्यादा अच्छे से रहने का संदेश देता है। मीत-मितानिन का पर्व छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना द्वारा कोरबा में पांचवे वर्ष धूमधाम से मनाया गया।

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना द्वारा पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य बताया गया कि आज लोग अपनी कला,संस्कृति को भूलते जा रहे है को फिर से जीवंत कर लोगों को जोड़ने आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम घंटाघर में क्रांति सेना के जिला प्रदेश मंत्री दिलीप मिरी, जिला अध्यक्ष अतुल दास महंत, जिला संगठन मंत्री गंभीर दास, जिला उपाध्यक्ष सुरेश पटेल, जिला सचिव एलेक्स टोप्पो, नगर अध्यक्ष किरण निराला, नगर संयोजक खेम लाल साहू,बालको खड़ अध्यक्ष महेंद्र भारद्वाज, खड़ संयोजक राजेश साहू, खड़ संयोजक बसंत दास,दर्री खड़ अध्यक्ष नवल साहू,दीपक खड़ अध्यक्ष कान्हा अहीर,खड़ संयोजक बसंत चंद्राकर,खड़ सचिव मलिक सेंदद्राम, कोषाध्यक्ष गणेश साहू मीडिया प्रभारी दीपक साहू, दीपका खड़ सह सचिव प्रशांत राज,दीपका खड़ उपाध्यक्ष रोहित कश्यप, कुसमुंडा खड़ अध्यक्ष विनोद सारथी,कुसमुंडा उपाध्यक्ष नरेश दास,कुसमुंडा खड़ संयोजक हेमंत नामदेव, बांकीमोंगरा खड़ अध्यक्ष राहुल बंजारे एवं महिला क्रान्ति सेना जिला अध्यक्ष विमला ध्रुव सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। मंच पर बच्चों द्वारा लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई जिसमें लोक कलाकार मनीष मनचला की प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अमरइया पारा एवं बुधवारी,सीएसईबी कॉलोनी ,रामपुर सहित वनांचल ग्राम जिल्गा से महिलाएं उपाथित थीं।कार्यक्रम में सतनामी समाज के जिला प्रमुखों का भी आगमन हुआ।

इसके पश्चात घंटाघर से कर्मा नृत्य के साथ छत्तीसगढ़ महतारी की झांकी ,सुवा ,पंथी एवं अन्य प्रकार के लोक कला नृत्य के साथ रैली निकाली गई। महिला कर्मा नर्तकों की प्रस्तुति और उत्साह देखते ही बना। रैली में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। रैली घंटाघर से होते हुवे निहारिका चौक,कोसाबाड़ी चौक, आईटीआई रामपुर चौक से होते हुए ढेंगुरनाला भोजली घाट पहुंची। यहां भोजली दाई की पूजा-अर्चना कर भोजली विसर्जन किया गया। इसके पश्चात लोग भोजली को एक-दूसरे के कान में खोंच कर मीत-मितान बनाने की परंपरा को गले मिल कर निभाया।
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के सभी पदाधिकारियों का सहयोग आयोजन में रहा।

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