रेलवे स्टेशन से हिंदी नाम हटाने पर सियासी हंगामा, सीएम स्टालिन तमिल भाषा को संस्कृत भाषा से भी पुरानी भाषा बता चुके हैं…
तमिलनाडु में भाषा को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच लड़ाई तेज हो गई है. केंद्र वहां नई शिक्षा नीति (NEP) लागू करने की बात कर रहा है. इस नीति तीन भाषा का प्रस्ताव है जिसका तमिलनाडु विरोध कर रहा है.

वह अपने यहां हिंदी भाषा का तीखा विरोध कर रहा है.
आज एक रेलवे स्टेशन पर लिखा हिंदी नाम मिटा दिया गया है. जिसके विवाद खड़ा हुआ है. सीएम एमके स्टालिन केंद्र को चुनौती दे दी है कि अगर वह 10 हजार करोड़ रुपये दे तब भी राज्य में एनईपी को लागू नहीं होने दूंगा.
कोयंबटूर के पोलाची रेलवे स्टेशन के बोर्ड से हिंदी नाम हटाने का मामला अब तूल पकड़ चुका है.
वहीं इससे पहले कई बार सीएम स्टालिन तमिल भाषा की वकालत कर चुके हैं. यहां तक कि इसे देश संस्कृत भाषा से भी पुरानी भाषा बता चुके हैं.
तमिलनाडु में हिंदी नाम मिटाने पर क्यों विवाद?
CM स्टालिन ने कहा कि ₹10,000 करोड़ भी मिले, तब भी राज्य में NEP को लागू नहीं होने देंगे.
इसी बीच, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने साफ कहा कि चाहे केंद्र सरकार ₹10,000 करोड़ भी दे दे, तब भी तमिलनाडु में नई शिक्षा नीति (NEP) लागू नहीं होगी.
रेलवे स्टेशन से हिंदी नाम हटाने पर सियासी हंगामा
रविवार को डीएमके (DMK) कार्यकर्ताओं ने कोयंबटूर के पोलाची रेलवे स्टेशन के बोर्ड से हिंदी में लिखा नाम काले रंग से मिटा दिया. यह घटना ऐसे समय हुई जब हिंदी थोपने के आरोपों पर राज्य और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं.
CM स्टालिन ने NEP को बताया ‘भेदभावपूर्ण’
शनिवार को तमिलनाडु अभिभावक-शिक्षक संघ के एक कार्यक्रम में CM स्टालिन ने NEP पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा,
“अगर हम ₹2,000 करोड़ के लिए अपने अधिकार छोड़ देंगे, तो तमिल समाज 2,000 साल पीछे चला जाएगा. मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन कभी ऐसा पाप नहीं करेगा.”
स्टालिन ने NEP को शिक्षा के बजाय जाति आधारित व्यवसायों की ओर धकेलने वाला बताया. उन्होंने कहा कि यह नीति छात्रों को ‘मनुस्मृति’ के नियमों पर आधारित जातिगत पेशों में धकेलने का प्रयास है.
स्टालिन का दावा- तमिलनाडु को ₹2,152 करोड़ का फंड रोक रही केंद्र सरकार
CM स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु को मिलने वाला ₹2,152 करोड़ का फंड रोक रही है.
-इस फंड से 43 लाख स्कूली बच्चों के लिए योजनाएं लागू होनी थीं.
-राज्य को दंडित करने के लिए इसे रोका गया, क्योंकि तमिलनाडु ने NEP स्वीकार नहीं किया.
- लेकिन हम शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे.
हिंदी विरोध नहीं, जबरदस्ती की भाषा थोपने का विरोध’
स्टालिन ने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा, “अगर कोई हिंदी सीखना चाहता है, तो वह केंद्रीय विद्यालय (KV) या अन्य संस्थानों में सीख सकता है. हमने कभी किसी को रोका नहीं है. लेकिन हम पर हिंदी थोपने की कोशिश न करें.”
उन्होंने कहा कि तमिल लोग कभी भी बाहरी दबाव में नहीं झुकेंगे.
क्या है ‘ट्राई लैंग्वेज फॉर्मूला’, जिस पर विवाद छिड़ा?
नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत, छात्रों को तीन भाषाएं सीखनी होंगी.
- प्राथमिक कक्षाओं (1-5वीं) तक पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में होगी.
- मिडिल कक्षाओं (6-10वीं) में तीन भाषाओं की पढ़ाई अनिवार्य होगी.
गैर-हिंदी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में रखी जा सकती है.
- हिंदी राज्यों में दूसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ाई जा सकती है.
हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि किसी भाषा को अनिवार्य रूप से थोपने का प्रावधान नहीं है.
DMK बनाम केंद्र: ‘भाषाई वर्चस्व’ पर बढ़ती बहस
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 15 फरवरी को वाराणसी में एक कार्यक्रम में तमिलनाडु सरकार पर ‘भाषा को राजनीति से जोड़ने’ का आरोप लगाया.
इसके जवाब में 16 फरवरी को CM स्टालिन ने कहा,
“तमिल लोग धमकी या ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेंगे. अगर हमें शिक्षा के फंड से वंचित किया गया, तो केंद्र को ‘तमिलों की ताकत’ का अहसास होगा.”
18 फरवरी को उदयनिधि स्टालिन ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जो राज्य हिंदी को स्वीकार करते हैं, वे अपनी मातृभाषा खो देते हैं. केंद्र सरकार भाषा युद्ध शुरू न करे.”
DMK ने साफ कर दिया है कि वह तमिल भाषा की अस्मिता पर कोई समझौता नहीं करेगी.
टकराव और बढ़ेगा?
तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच यह भाषा और शिक्षा नीति को लेकर जारी टकराव जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा.
DMK हिंदी थोपने और NEP के खिलाफ लगातार मुखर हो रही है, जबकि केंद्र सरकार अपनी नीति को सही ठहराने में लगी है.
अब देखना होगा कि क्या यह विवाद तमिलनाडु की राजनीति और केंद्र-राज्य संबंधों में कोई बड़ा मोड़ लाएगा?