मोहन भागवत के तीन दिन के प्रवास ने कांग्रेस को दिया हरियाणा में तगड़ा झटका,राहुल ने जहां प्रचार किया अधिकांश सीट पार्टी हारी..
हरियाणा:हरियाणा में भाजपा की जीत के पीछे केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति को श्रेय दिया जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस की रणनीति में इस बात का अंतर रहा कि जहां भाजपा ने उन नेताओं को हटाया, जो जीत में बाधा बन रहे थे। वहीं कांग्रेस ऐसा कोई बोल्ड फैसला नहीं ले सकी। यही कारण है कि पार्टी के बड़े नेता अंदरूनी कलह करते रहे। कुमारी सैलजा इसका उदाहरण हैं।
एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस नेताओं ने जीत का श्रेय राहुल गांधी को देना शुरू कर दिया था। मामला पूरी तरह से पलट गया।बीजेपी आगे निकल गई। बता दे की ओं ने जीत का श्रेय राहुल गांधी को देना शुरू कर दिया था। ताजा खबर यह है कि राहुल ने हरियाणा की जिन 12 विधानसभा सीटों पर प्रचार किया, उनमें से 8 पर कांग्रेस पीछे पिछड़ गई। कहा जा रहा है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के कार्यकर्ताओं की माइक्रो मैनेजमेंट ने काम किया।
खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक तरह से मोर्चा संभाल रखा था और तीन दिन हरियाणा में डेरा डाले रखा। वहीं प्रदेश के साइलेंट वोटर ने भी बड़ी भूमिका निभाई। हरियाणा में इस बार 65 फीसदी मतदान ही हुआ है। कम मत प्रतिशत के बाद भाजपा और कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई थी। कई बड़े नेताओं की किस्मत दांव पर लगी थी।
इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी मैदान में थी। हालांकि एग्जिट पोल के अनुसार, मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही था।
बता दे कि 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 36.49 फीसदी वोट के साथ भाजपा को 40 सीट मिली थी। पार्टी ने जजपा (10 सीट) के साथ सरकार बनाई थी।
खबर लिखे जाने तक निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक बीजेपी 50 और कांग्रेस 35 सीटें या तो जीत चुकी हैं या बढ़त बनाए हुए है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इस रिज्ल्ट में कांग्रेस से ज्यादा राहुल गांधी की हार है।
