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मंत्री का बयान चुनाव प्रभावित करने वाला, कोयला कामगारों का हित नहीं हो रहा

0 1000 के बदले न्यूनतम पेंशन 1170 रुपए देना चाहिए : दीपेश मिश्रा
कोरबा। केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल समाप्ति के अंतिम माह में 8 मार्च को अधिसूचना जारी कर कोयला खान पेंशन स्कीम 1998 का संशोधन करते हुए कोयला खान पेंशन (संशोधन) स्कीम 2024 लाकर मिनिमम पेंशन 250 रूपए को बढ़ाकर 1000 रूपए करने कोयला मंत्री ने कहा है।


इस संबंध में प्रदेश एटक के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने बताया कि कोयला मंत्री ने लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के लिए यह बयान जारी किया है। 1998 जब संयुक्त मोर्चे की सरकार के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंद्र कुमार गुजराल ने अपने कार्यकाल के अंतिम माह में 20 मार्च 1998 को अधिसूचना जारी कर कोयला उद्योग में कोल माइंस पेंशन स्कीम को 31 मार्च 1998 से लागू किया है। उस तारीख को कोयला उद्योग में सरकारी एवं गैर सरकारी कुल मिलाकर 7,82,578 (कोयला खान भविष्य निधि) सीएमपीएफ के सदस्य थे जो देश के विभिन्न कोयला खानों में कार्यरत थे। 1998 में जब कोयला खान पेंशन योजना बनी उस समय मिनिमम पेंशन 250 रुपए रखी गई थी जिसकी कीमत आज लगभग 1170 रूपए है क्योंकि 1998 से आज तक मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) दर 6.02 प्रतिशत रही है। इसका मतलब है कि कोयला मंत्री को कम से कम मिनिमम पेंशन 1170 रूपये का घोषणा करना चाहिए था जो नहीं किया है।
0 3 साल की बजाय 26 साल में किया संशोधन
दीपेश मिश्रा ने बताया कि कोयला खान पेंशन योजना 1998 में यह भी लिखा है कि हर 3 साल में पेंशन अमाउंट को संशोधित (रिवाइज) किया जाएगा पंरतु आज 26 वर्ष बीत गए यानी कि 8 बार पेंशन रकम (संशोधन) रिवाइज होना था पर सीएमपीएफओ (बोर्ड का ट्रस्टी) ने इस पर कुछ नहीं किया है जिससे लाखों सेवानिवृत्त कोयला कामगारों को काफी नुकसान हुआ है। सीएमपीएफओ ने कोयला खान भविष्य निधि का पैसा भी शेयर बाजार में लगाया जो पूरी तरह से डूब गया है। यह जग जाहिर है कि शेयर बाजार में पैसा लगाना भारी जोखिम का काम है परंतु श्रम संगठनों की चेतावनी के बावजूद भी सीएमपीएफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने डीएचएलएफ कंपनी में करोड़ों रुपए का शेयर खरीदने का काम किया है जो पूरी तरह डूब गया है जिससे कोयला मजदूरों काफी नुकसान पंहुचा है जिसकी भरपाई भविष्य में कर पाना असंभव है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के चलते सेवानिवृत्त कामगारों को पेंशन रकम बहुत कम मिल रहा है जो ठीक नहीं है, इसमें हर हाल में सुधार होना चहिये। इसके लिए कोयला प्रबंधन और भारत सरकार को हरसंभव प्रयास करना चाहिए क्योंकि इन्हीं कामगारों ने कोल इंडिया को घाटे से उबार कर मूल्यवान और लाभकारी कंपनी बना दिया है ।

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