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ब्रिटिश हुकूमत ने भी जिसे खारिज कर दिया,उसे क्यों बढ़ा रही केंद्र सरकार…!

0 पूरे देश में कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम लादने का कोशिश की जा रही है
कोरबा। “यह अजीब विडम्बना है कि देश में आजादी के पहले जब अंग्रेजी हुकूमत हुआ करती थी तब 1929 में साइमन कमीशन के कॉन्ट्रैक्ट पद्धति की सिफारिश को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह देश हित के खिलाफ है किंतु मौजूदा सरकार पूरे देश में ठेका पद्धति को तेजी से आगे बढ़ा रही है।”

यह सवाल उठाते हुए भारतीय खान मजदूर फेडरेशन एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने जारी बयान में कहा है कि नया लेबर कोड के पूरी तरह लागू होने की स्थिति में देश का श्रमिक वर्ग पूरी तरह बंधुआ मजदूर होकर रह जाएगा। सरकार लेबर कोड विधेयक के जरिए मजदूर संगठनों एवं कामगारों पर पूरी तरह नकेल कसना चाहती है। इस कड़ी में गैर कानूनी हड़ताल में जाने वाले, उसके लिए प्रेरित करने वाले या उसमें प्रत्यक्ष-परोक्ष मदद करने वालों पर कठोर दंड के प्रावधान बनाए गए हैं। इसके अलावा गैर कानूनी हड़ताल में जाने वालों पर भी कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। श्री मिश्रा ने कहा, ऐसा लग रहा है कि यह सरकार देश का सब कुछ निजी हाथ में सौंपने की मुहिम चला रही है। इस कड़ी में पूरे देश में कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम लादने का कोशिश कर रहे हैं। इसी के तहत तमाम सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों का ताबड़तोड़ निजीकरण करने पर भी आमादा है जो देश हित के खिलाफ है।
दीपेश मिश्रा ने कहा है कि यह सरकार सिर्फ बहुराष्ट्रीय कंपनियां व चुनिंदा उद्योग घरानों को फायदा पंहुचाने के लिए ही श्रम सुधार के नाम पर 44 श्रम कानूनों को 4 लेबर कोड में तब्दील कर दिया है। इसका आरएसएस से जुड़े श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ को छोडक़र देश के सभी 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन विरोध कर रहे हैं। सरकार श्रम संहिता लाने में जल्दीबाजी ना करें बल्कि मजदूर संगठनों से वार्तालाप कर लेबर कोड में मौजूद खामियों में सुधार करें।

गौरतलब है कि मौजूदा केंद्र की सरकार श्रम सुधार के नाम पर श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव लाने जा रही है। इस कड़ी मे 44 श्रम कानूनों को समेट कर 4 कोड क्रमश: इंडस्ट्रियल कोड, वेज कोड, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी व कोड ऑन सेफ्टी है। इन लेबर कोड को सरकार ने गजट के माध्यम से पहले ही पब्लिक डोमेन में अध्ययन के लिए डाल दिया है और कभी भी इसकी अधिसूचना सरकार जारी कर सकती है।

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