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प्रत्याशी बनने से पहले लखन के निशाने पर जयसिंह…चर्चा में बयान

कोरबा। कोरबा शहर में चुनावी हलचल धीरे-धीरे उफान पर आने लगी है। कांग्रेस जहां राज्य सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्यों और एक से बढ़कर एक महत्वाकांक्षी योजनाओं के बड़े-बड़े पोस्टर लगवा कर माहौल बनाने में लगी है तो वहीं भाजपा ने अभी जिले के एकमात्र कोरबा विधानसभा सीट के लिए लखन लाल देवांगन को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। कांग्रेस ने अभी किसी भी सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं जिसमें कोरबा विधानसभा भी शामिल है।
वर्तमान में कोरबा विधानसभा से कौन प्रत्याशी होगा यह भी तय नहीं है लेकिन भाजपा के प्रत्याशी लखन लाल देवांगन के द्वारा दिए जा रहे बयानों में साफ़ झलक रहा है कि वह राजस्व मंत्री एवं मौजूदा विधायक जयसिंह अग्रवाल को टारगेट में लेकर चल रहे हैं। अभी तो यह भी तय नहीं है कि लखन लाल देवांगन के सामने मुकाबले के लिए कांग्रेस किसे मैदान में उतारने वाली है? इस बीच यह भी एक हलचल का विषय बन गया है कि आने वाले समय में भाजपा का शीर्ष संगठन कुछ विधानसभा क्षेत्र में अपने प्रत्याशी बदल सकता है या फिर सारी तैयारी के बीच अंतिम दौर में कुछ भी परिवर्तन संभव है। वन नेशन-वन इलेक्शन की भी सुगबुगाहट तेज हो गई है और इससे पहले महिला आरक्षण बिल को पारित कराकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और नई बहस छेड़ दी है कि क्या विधानसभा क्षेत्र में पार्टियां अब पुरुषों की जगह महिलाओं को उम्मीदवार बनाने की कवायद कर सकते हैं। इन सब के बीच कोरबा विधानसभा की राजनीति अलग ही रंग में चल रही है। यहां भाजपा ने शहर को कमलमय करने का काम कर पहले परिवर्तन यात्रा में नेताओं का संबोधन कराया तो दूसरी ओर कांग्रेस अभी प्रत्याशी घोषणा के इंतजार में है इसलिए भीतर ही भीतर सारी तैयारियां जारी रखते हुए किसी भी तरह की बयानबाजी से बचा जा रहा है। कांग्रेसी धीर में खीर की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं तो वहीं लखन लाल देवांगन अपने जन बल को सामने लाकर धन बल को मात देने और खुद को अपेक्षाकृत गरीब प्रत्याशी बताकर प्रचारित करने से नहीं चूक रहे। हालांकि वे इस तरह की बयानबाजी करके खुद ही टारगेट में आ रहे हैं और प्रत्याशी घोषणा से पहले ही महलों में रहने वाले के साथ मुकाबला को प्रचारित कर कहीं ना कहीं यह मान बैठे हैं कि उन्हें जयसिंह अग्रवाल से ही मुकाबला करना होगा। वैसे राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है और वक्त पर प्रत्याशी बदल जाते हैं और बी फॉर्म किसी और को मिल जाता है तो फिर तो यह टिकट की बात है। टिकट मिलने से पहले ही प्रतिद्वंद्वी मान लेना कहीं ना कहीं उतावलेपन को भी दर्शाता है। इसकी चर्चा कोरबा विधानसभा क्षेत्र में जोरों पर है। भाजपा, कांग्रेस को ही अपना प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मान कर चल रही है और कहीं भी आम आदमी पार्टी या क्षेत्रीय दलों को टारगेट में रखा नहीं जा रहा है जबकि तीसरे दल से आम आदमी पार्टी के अलावा बहुजन समाज पार्टी व अन्य दल भी चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। कहीं ना कहीं बयानबाजी का केंद्र बिंदु कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल बनकर रह गए हैं। कहीं ऐसा न हो कि इन्हें टारगेट में लेने के चक्कर में दूसरी खाई को पाटना ही भूल जाएं।

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