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पादरी ने आराधना के समय राजनीतिक प्रचार-प्रसार नहीं करने की दी थी समझाइस, रोका था आचार संहिता का उल्लंघन , षड्यंत्र के तहत लगाया गया झूठा आरोप, मसीही समाज में आक्रोश

कोरबा। शहर के मानिकपुर स्थित आराधनालय में पादरी विक्टर मेनन पर लगे आरोपों के खिलाफ पूरा मसीही समाज उनके साथ खड़ा हो गया है। समाज की महिलाएं सामने आ गई हैं। उनका कहना है कि जिस महिला ने पादरी पर आरोप लगाया है, उसके ससुर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वह प्रभु की आराधना के समय राजनीतिक प्रचार कर रही थी। यह आचार संहिता का उल्लंघन है, इसलिए उसे ऐसा करने से जब मना किया गया। तब वह अनर्गल बातें कहते हुए, आराधनालय से चली गई। उसे धक्के देना तो दूर किसी ने उससे गलत लहजे में बात भी नहीं की है। बाद में इसे पूरी तरह से षड्यंत्र कर फर्जी स्क्रिप्ट लिखकर उससे पढ़वाया गया। जिसके लिए प्रभु की आराधना को आधार बनाया गया है। यह बेहद शर्मनाक है। पादरी विक्टर मेनन पर लगे सारे आरोप सरासर निराधार हैं।

आराधना के दौरान कर रही थी ससुर का चुनाव प्रचार :

मसीही समाज की सुनीता चौहान ने कहा रविवार की आराधना के दौरान प्रभु यीशु के समक्ष हमारा वक्तव्य लिया जाता है। इसे प्रभु यीशु की आराधना का एक भाग माना गया है। बारी-बारी से हम प्रभु का गुणगान कर रहे थे। तभी सुनीता फ्रांसिस के बोलने की बारी आई, उसने प्रभु की आराधन के बजाय अपने ससुर सिमोन फ्रांसिस का चुनाव प्रचार शुरू कर दिया, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। तभी पास्टर विक्टर मेनन ने उन्हें यह कहा कि आराधनालय प्रभु की आराधना के लिए है। इसका कृपया राजनीतिकरण ना करें। इतने में सुनीता अपना आपा खो बैठी, वह गुस्से से तिलमिला उठी और खुद ही वहां से चली गई। पास्टर तो स्टेज पर थे। वह सुनीता को धक्का कैसे मार सकते हैं, यह पूरी तरह से निराधार आरोप है। सुनीता द्वारा जो किया गया वह सही नहीं है। वह पूरी तरह से षड्यंत्र के तहत इस घटना को अंजाम देने आई थी। जिसका हम सभी मसीही समाज के लोग विरोध करते हैं। हम पास्टर विक्टर मेनन के साथ खड़े हैं। उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।

सुनीता पास्टर को कर रही है बदनाम :

सावित्री ने बताया कि जब यह सब हुआ तब मेरे साथ बड़ी तादात में ढेर सारे लोग मानिकपुर के आराधनालय में उपस्थित थे। सुनीता धर्म के स्थान का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए कर रही थी। उसे ऐसा करने से रोका गया, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थी। खुद ही तिलमिला उठी और गुस्से में अनर्गल बातें करने लगी। उसे किसी ने भी धक्का नहीं दिया, ना किसी तरह की धमकी दी है। हम सब वहां मौजूद थे और सुनीता ने जो किया वह बिल्कुल गलत है। उसके ससुर से सिमोन फ्रांसिस निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। जिसके कारण वह लोग राजनीतिक प्रचार प्रसार कर रहे थे। लेकिन धर्म के स्थान का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। यह पास्टर विक्टर मेमन को बदनाम करने की साजिश है।

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