देवी जसगीत के साथ मां सर्वमंगला मंदिर से निकाली गई जवारा कलश विसर्जन यात्रा..
कोरबा,नवरात्र पर्व का उत्साह अंतिम दिन भी उत्कर्ष पर रहा है। हरदेव नदी के तट पर स्थित प्रसिद्ध मां सर्वमंगला मंदिर व पंडालों में परंपरागत रीति रिवाज से पूजा आराधना की गई।
मां सर्वमंगला मंदिर से जौ कलश विसर्जन यात्रा निकाली गई। सैकड़ो जौ कलश की विसर्जन शोभायात्रा को देखने भक्तों की खासी तदाद में उपस्थिति देखी गई। बाजे गाजे और देवी जस गीत के साथ कलश को हसदेव नदी में विसर्जित किया गया।
यहां माँ सर्वमंगला देवी मंदिर के राजपुरोहित पं. नन्हा पाण्डेय (नमन) सहित अन्य पुजारियों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद विसर्जन कराया।
बता दें कि नवमी तिथि को ही नवरात्रि के पहले दिन स्थापित किए गए जवारों का विधि-विधान से विसर्जन किया जाता है। जवारे विसर्जन के पूर्व दुर्गा माता तथा जवारों की विधि-विधान से पूजा की जाती है, उसके बाद जवारे का विसर्जन किया जाता है। दुर्गा माता की आराधना के लिए नवरात्रि के नौ दिन महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वहीं पूरे नौ दिन मां की पूजा और आराधना के बाद दुर्गा पूजा उत्सव का समापन दुर्गा विर्सजन के साथ होता है।
भोग-भंडारा में उमड़े श्रद्धालु
महानवमी पर देवी मंदिर के साथ आरपी नगर फेस वन, टीपी नगर टैगोर उद्यान, पुराना बस स्टैंड, शहीद भगत सिंह कॉलोनी, रविशंकर नगर सहित अन्य पंडालों में भोग-भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने के लिए पंडाल में श्रद्धालुओं तांता लगा रहा।
भक्तों ने घरों में कराया कन्या भोज
नवरात्रि के नवमी तिथि को भक्तों द्वारा अपने घरों पर कन्या भोज का आयोजन किया। विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद कन्याओं को भोजन कराया और आशीर्वाद प्राप्त किया। नवरात्र की समाप्ति पर माता का रूप माने जाने वाली कन्याओं के लिए श्रद्धालुओं द्वारा कन्या भोज का आयोजन किया जाता है। यह मान्यता है कि नवरात्र के अंतिम दिन माता स्वरूप कन्याओं की पूजा अर्चना कर उन्हें भोजन कराने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। कन्याओं की विशेष पूजा अर्चना की गई। देवी स्वरूप नव कन्या के पैरों को दूध व शुद्ध जल से धोकर, पैरों में महावर, मस्तक पर तिलक लगाकर, चुनरी ओढा़ कर विधि विधान से पूजा अर्चना कर खीर-पूड़ी व अन्य पकवान खिलाकर उपहार भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया।