जब संसद में गरजने लगीं सड़क किनारे पत्थर तोड़ने वाली की भगवती देवी..सब सन्न रह गए
“तीन बार की विधायक और एक बार सांसद रही भगवती देवी साधारण और मेहनत मजदुरी करने वाली साधारण महिला थी और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए पत्थर तोड़ने का भी कार्य किया… संसद में भगवती देवी जो कहा उसे सुन चारों तरफ सन्नाटा पसर गया… भगवती देवी का पुराना वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा हैं पढ़े उन्होंने क्या कहा…”
भगवती देवी पत्थर तोड़कर अपने परिवार का पालन-पोषण करती थीं। एक दिन वह पत्थर तोड़ने वाली महिलाओं से उनके अधिकारों को लेकर बातें कर रही थीं। उनकी बातों को सुनकर सोशलिस्ट नेता उपेन्द्र नाथ वर्मा काफी प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने भगवती देवी की चर्चा राम मनोहर लोहिया से की। लोहिया भी भगवती देवी से प्रभावित हुए और उन्होंने विधानसभा चुनाव में टिकट देकर उन्हें मैदान में उतार दिया।

साल 1969, भगवती देवी बाराचट्टी विधानसभा से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ीं और जीतकर विधानसभा पहुंच गईं। यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ। इसके बाद वह संसद भी पहुंच गईं। 1972 के चुनाव में वह विधानसभा का चुनाव हार गईं, लेकिन 1977 में फिर से विधायक बन गईं। 1980 में वह फिर चुनाव हारीं। इस चुनाव में हारने के बाद भगवती उर्फ़ भगवतिया देवी राजनीति से दूर हो गईं। बताया जाता है कि इसके बाद उन्होंने फिर से मजदूरी शुरू कर दी और मजदूरों के मुद्दे उठाने लगीं।
फिर साल 1995 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भगवती देवी को मिलने के लिए बुलाया और उन्हें फिर से राजनीति में सक्रिय कर दिया। वह फिर से चुनाव जीतकर विधायक बन गईं। लेकिन एक साल बाद ही, जनता दल ने उन्हें गया से लोकसभा चुनाव में उतारा। यह चुनाव जीतकर वह संसद पहुंच गईं, लेकिन उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया। वह बेहद साधारण जीवन व्यतीत करती थीं।
सोशल मीडिया पर जो वायरल वीडियो हो रहा है, उसमें भी भगवती देवी बेहद साधारण कपड़ों में दिखाई दे रही हैं। आज की पीढ़ी उनका वीडियो देखकर यकीन नहीं कर पा रही है कि वह एक सांसद के रूप में संसद में बोल रही थीं।
वायरल वीडियो में भगवती देवी कह रही हैं: “यह हिंदुस्तान है और यहाँ तरह-तरह के धर्म मानने वाले लोग हैं। जब आदि युग आया तो आदि गुरु शंकर हुए। जब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों हो आए, तो इतनी जातियाँ कहाँ से आ गईं?”
भगवती देवी ने आगे कहा: “जाति तो तब आती है जब सत्ता में बैठे लोगों पर परेशानी आती है। इसीलिए जब लालू प्रसाद यादव को लोगों का साथ मिल रहा है, तो कुछ लोगों के पेट में चूहे क्यों कूद रहे हैं? जाति तो आपने ही बनाई थी। गले में घंटी, झाड़ू और मिट्टी के बर्तन को बाँध दिया। देवी-देवताओं को छूने नहीं दिया, लेकिन उन्हें बनाते तो छोटे जाति के लोग ही हैं। इन्हीं देवी-देवताओं को पूजने के लिए बाबा जी हैं।”
इसके बाद भगवती देवी ने सवाल उठाया: “विश्वनाथ मंदिर में सोने की मूर्ति थी, वह कहाँ गायब हो गई? वहाँ तो कोई छोटी जाति का नहीं गया, वहाँ तो पंडित जी ही थे।”