जंगलराज:प्रशिक्षु IFS ने खतरे में डाली कर्मी की जान,9 माह से वेतन की सुध नहीं,हक के लिए लड़ रहे तो काम से निकाला
0 कोरबा में नियमों को ताक पर रख किया बर्खास्त
0 नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन पर हैं वनकर्मी
कोरबा। कोरबा जिले के वन विभाग में जंगलराज कायम है। यह ट्रेनी आईएफएस व कोरबा वनमण्डल के अंतर्गत पसरखेत रेंजर चन्द्रकुमार अग्रवाल के उस बेतुके आदेश से पता चलता है जिसमें अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे कर्मियों में शामिल दैनिक वेतनभोगी कर्मी रामखिलावन व तीन अन्य को सेवा से निकाल दिया गया है। अधिकारी के इस करतूत की वजह से रामखिलावन की जान पर बन आई है। नौकरी से निकाले जाने का सदमा और मानसिक तनाव वे बर्दाश्त नहीं कर सके और अस्पताल में उपचार जारी है। आर्थिक तंगी से परिवार इसलिए जूझ रहा है क्योंकि सिर्फ अपना काम निकालने से वास्ता रखने वाले वन विभाग में अधिकारियों का वेतन तो कभी नहीं रुकता लेकिन कर्मचारियों के वेतन 9-9 महीने से नहीं दिए जाते हैं।
बता दें कि प्रदेश में छत्तीसगढ़ दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी संघ व फेडरेशन के आव्हान पर नियमितिकरण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जा रहा है। इसके लिए संगठन के पदाधिकारियो ने विभाग प्रमुखों से बकायदा विधिवत अनुमति लिया है। संगठन की ओर से आंदोलन में शामिल कर्मचारियों की सूची भी विभाग को उपलब्ध कराई गई है। इस सूची में कोरबा वनमंडल के पसरखेत रेंज में पदस्थ कम्प्युटर आॅपरेटर यशवंत कुमार, वाहन चालक महत्तम सिंह कंवर और रात्रि सुरक्षा चौकीदार रामखिलावन निर्मलकर भी शामिल हैं। वे तीनों अन्य कर्मचारियों की तरह आंदोलन में शामिल रहे लेकिन उन्हें अपने हक की लड़ाई के लिए संगठन का साथ देना महंगा पड़ गया। पसरखेत रेंजर का प्रभार जून 2024 से प्रशिक्षु आईएफएस (भारतीय वन सेवा) चंद्रकुमार अग्रवाल संभाल रहे हैं। रेंज का प्रभार संभालते ही चर्चा में आने वाले आईएफएस ने तमाम नियम कायदों के साथ-साथ इंसानियत को दरकिनार कर आंदोलन में शामिल होने वाले तीनों दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश सादे कागज में ठप्पा लगाकर जारी कर दिया। 21 अगस्त को हस्तलिखित आदेश के माध्यम से कार्रवाई की सूचना वनमंडलाधिकारी और उप वनमंडलाधिकारी को भी दी गई।
इधर नौकरी के हाथ से जाने का दु:ख तो कम्प्युटर आपरेटर और वाहन चालक ने किसी तरह सहन कर लिया, लेकिन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में वर्ष 1992 से बेदाग सेवा देते आ रहे रामखिलावन निर्मलकर यह सदमा बर्दाश्त नही कर सके। हड़ताल के दौरान मामूली रूप से बीमार रामखिलावन को नौकरी से बर्खास्त करने, जीवन यापन का साधन खत्म होने की सूचना मिलने से सदमा लगा और तबियत बिगड़ कर पैरालिसिस अटैक आ गया। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां उनका उपचार जारी है। बहरहाल घटना के बाद से परिजनों के अलावा संगठन के पदाधिकारियों मे आक्रोश व्याप्त है।
0 स्वतंत्रता दिवस के दिन काम क्यों कराया
बताया गया कि प्रशिक्षु आईएफएस रेंजर ने रामखिलावन निर्मलकर के नाम जो बर्खास्तगी आदेश जारी किया है उसमें 9 अगस्त 2024 से बिना सूचना अनुपस्थित रहने के अलावा बार-बार मौखिक और दूर संचार से दिए गए निर्देश का पालन नहीं करने को कारण बताया गया है। सूत्रों की मानें तो रात्रि सुरक्षा चौकीदार श्री निर्मलकर से 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के लिए रेंज कार्यालय में दबावपूर्वक नौकरी का भय दिखाकर काम कराया गया। संगठन की आपत्ति पर चौकीदार पुन: आंदोलन में शामिल हुआ तो बर्खास्त कर दिया गया।
0 क्या खुद को भगवान समझ बैठे हैं रेंजर..?
नौकरी से बर्खास्त करने से अनजान रामखिलावन का पुत्र जब अपने पिता के बीमार होने की सूचना देने रेंजर के पास पसरखेत पहुंचा तो सही तरीके से बात नहीं की और साफ कह दिया कि काम से निकाल दिया गया है तो अब कुछ नहीं कर सकता। उनके रवैया से तो ऐसा लगा कि वही भगवान बन बैठे हैं और जो कहा, वह होकर रहेगा।
जानकारों की मानेंं तो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने के लिए नियम कायदे निर्धारित हैं। नियमानुसार किसी भी कर्मचारी को नौकरी से बाहर करने से पहले नोटिस जारी की जाती है। यदि नोटिस का जवाब संतोषजनक न हो अथवा गलत जानकारी दी जाती है, तो प्रतिवेदन तैयार कर उच्च अधिकारी को दिया जाना था जबकि इस प्रशिक्षु अधिकारी को सीधे तौर पर बर्खास्तगी की कार्रवाई का अधिकार ही नहीं है।
0 कार्रवाई करना गलत है,सूचना देकर हड़ताल पर हैं : जिलाध्यक्ष
दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष कांशी राम ध्रुव ने कहा कि नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। आंदोलन मे जाने से पहले विधिवत सूचना दी गई है। हमारे साथियों को जबरिया काम पर बुलाया जा रहा है। प्रशिक्षु अधिकारी ने गलत तरीके से बर्खास्तगी की कार्रवाई की है, जो गलत है।