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चुनाव:रामपुर से फूलसिंह फाइनल,कटघोरा पुरुषोत्तम, तानाखार से दुलेश्वरी…. घोषणा बाकी

कोरबा। छत्तीसगढ़ विधानसभा निर्वाचन 2023 के लिए कांग्रेस ने आखिरकार अपनी पहली सूची 30 प्रत्याशियों के साथ जारी कर दी है। पहली सूची में मंत्री-विधायकों को तवज्जो दी गई है जिसमें कोरबा महत्वपूर्ण विधानसभा सीट के लिए राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल पर एक बार फिर संगठन ने भरोसा जताया है। वह यहां से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं और चौथी पारी खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कोरबा में उनका सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लखन लाल देवांगन से होगा। प्रत्याशी घोषणा के बाद अब दोनों दलों के द्वारा चुनावी प्रचार-प्रसार और भी तेज होने जा रहा है।


कोरबा जिले के शेष 3 विधानसभा के अलावा दूसरे विधानसभा क्षेत्र सहित प्रदेश की शेष 60 विधानसभा से नाम घोषित करना बाकी रह गया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि दो चरणों में उनके नाम घोषित कर दिए जाएंगे या एक बार में भी हो सकता है।

वैसे कोरबा जिले की शेष विधानसभा रामपुर, कटघोरा और पाली-तानाखार को लेकर भी काफी पेंच फंसा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने अपने सर्वे के आधार पर पूरे 90 विधानसभा के प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिए हैं और इनमें फेरबदल की गुंजाइश न हो तो जिन नाम पर मुहर लग गई है, अब उनकी घोषणा आने वाले दिनों में की जाएगी। यदि किसी विशेष कारण से नाम में फेरबदल नहीं हुआ तो कोरबा जिले के रामपुर विधानसभा क्षेत्र से फूलसिंह राठिया इस बार मैदान में उतारे जा रहे हैं, उनका नाम फाइनल हो चुका है बस घोषणा बाकी है। पिछले चुनाव में फूलसिंह दूसरे स्थान पर थे जिससे माना जा रहा है कि उनका अपना वोट बैंक और कांग्रेस के परम्परागत वोट से यहां काबिज होंगे। यहां पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर व उनके पुत्र मोहिन्दर कंवर(टीटू) भी कोशिश किये हैं। इसी तरह कटघोरा विधानसभा में एक बार फिर पूर्व विधायक बोधराम कंवर के पुत्र मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर को मैदान में उतारा जा रहा है। पाली तानाखार विधानसभा में विधायक मोहित राम केरकेट्टा के स्थान पर इस बार जनपद अध्यक्ष दुलेश्वरी सिदार को फाइनल किया गया है। इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि कांग्रेस यहां से महिला प्रत्याशी उतार सकता है, हालांकि कटघोरा में भी इसके आसार बने हैं। यहां से अभी भी जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती रीना अजय जायसवाल की दावेदारी पुरजोर है लेकिन बोधराम कंवर पुत्र को फिर मौका देने जोर लगाए हैं। वैसे अभी जब तक फाइनल सूची घोषित नहीं की जाती तब तक कुछ भी कहना संभव नहीं होगा क्योंकि अपना-अपना नाम फाइनल कराने के लिए काफी जोर लगाया जा रहा है। विधायक मोहित राम अभी भी प्रयासों में लगे हुए हैं वहीं कटघोरा विधानसभा से लगातार ओबीसी वर्ग का प्रत्याशी उतारे जाने की बात हो रही है। दूसरी तरफ रामपुर विधानसभा में फूल सिंह राठिया लगभग फाइनल हो गए हैं।
0 कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं दोनों दल
बता दें कि इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते कि उनकी सीट हाथ से चली जाए। रामपुर विधानसभा में भाजपा ने मौजूदा विधायक ननकीराम कंवर पर फिर से भरोसा जताया है तो कटघोरा में जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद पटेल को मैदान में उतर कर यहां से टिकट की दौड़ में शामिल अन्य दावेदारों को चौंका दिया है। वैसे प्रेमचंद का अंदरूनी विरोध कुछ हद तक सतह पर उभरा है तो टिकट से वंचित व अन्य भीतर ही भीतर अपनी भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी घोषणा का यहां इंतजार है। कहा जा रहा है कि यदि जनता के रूझान व मनमाफिक नाम तय नहीं हुआ तो बाजी कहीं और पलट सकती है,इसके आसार अभी से बनने लगे हैं। तानाखार में पूर्व विधायक भाजपा के रामदयाल उइके कांग्रेस को मात देने के लिए जोर लगा रहे हैं। हालांकि तानाखार विधानसभा कांग्रेस का गढ़ रहा है जहां पिछले चुनाव में रामदयाल उइके तीसरे स्थान पर चले गए थे। यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय हीरा सिंह मरकाम के पुत्र तुलेश्वर मरकाम चुनाव लड़ेंगे जिनका बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन हो गया है। वैसे तो हर विधानसभा क्षेत्र में सीधे मुकाबले के साथ-साथ त्रिकोणीय-चतुष्कोणीय मुकाबला संभावित है लेकिन तानाखार विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला दिलचस्प होगा। कांग्रेस समर्थित जनपद अध्यक्ष,पाली दुलेश्वरी सिदार भी अच्छा खासा समर्थन रखती हैं।
0 3-1 का दावा दोनों दलों का
चुनाव के लिए मतदान की तिथि अब ज्यादा दूर नहीं है और यह नेताओं के लिए परीक्षा की घड़ी है। ऐसे में जिले की चार विधानसभा क्षेत्र में से दोनों ही दल के लोग कोई ना कोई एक सीट पर हार और 3 सीट पर अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रहे हैं। चुनावी चर्चाओं में भी यही निचोड़ निकल कर सामने आ रहा है कि परिणाम 3-1 ही रहेगा। अब यह तो बता पाने में कोई भी सक्षम नहीं कि कांग्रेस या बीजेपी में से कौन बाजी मारेगा? जातिगत समीकरणों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के रुझान, नफा-नुकसान के आधार पर वोटों का गणित लगाने में चौक-चौराहा, चाय की गुमटियों, पान के ठेलों पर चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है।

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