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खुलासा:जिसकी हुई हत्या,वह जीवित मिला,सवारी को मारकर कोरबा में छिपा था,वीडियो कॉल ने खोला राज

0 ऑटो चालक की हत्या का मामला तीन जिलों की पुलिस ने मिलकर सुलझाया

जांजगीर-चाम्पा/कोरबा। 25-26 दिसम्बर की मध्य रात जांजगीर-चाम्पा जिले के अंतर्गत ग्राम खिसोरा-पंतोरा-बलौदा मार्ग पर सनसनीखेज घटनाक्रम में मिली सिर कुचली लाश और पलटी ऑटो का मामला पुलिस ने सुलझा लिया है। छाता जंगल के आसपास की यह घटना जितनी सुलझी हुई लग रही थी,उससे ज्यादा इसकी गुत्थी उलझी हुई रही। तकनीकी सायबर टीम की मदद से जांजगीर,बिलासपुर और कोरबा पुलिस ने मिलकर चालाक ऑटो चालक को धर दबोचा।

मामले में चौकी पंतोरा में मर्ग कायम कर अपराध कमांक 420/23 धारा 302 भा.द.वि. कायम कर विवेचना कार्यवाही में लिया गया
विवेचना के दौरान आटो चालक मृतक का पता बिलासपुर होने से पुलिस ने जांच ऑटो स्टैंड से शुरू की।
सीसीटीवी फुटेज में वह 25.12.23 कि रात्रि 19:35 बजे बिलासपुर रेल्वे स्टेशन से एक यात्री को लेकर जाता दिखाई दिया। आटो चालक बाप जी पार्क के एसबीआई एटीएम में पैसे निकालते हुए 20:04:00 बजे, वसुंधरा नगर महाराणा प्रताप चौक स्थित शासकीय शराब दुकान में 20:14:58 बजे शराब लेता दिखाई दिया। इसके बाद महिमा कॉम्प्लेक्स व्यापार बिहार रोड में 20:22:00 बजे , बाराखोली चौक20:28 :00बजे,तोरवा थाना चौक मे 20:35:54 बजे , मोपका सीपत मे 21:23:00 बजे , कुली मे 21:48:00 बजे , बलौदा से 22:02:00 बजे दिखा। अंततः खिसोरा के फुटेज में22:26:00 बजे दिखाई दिया। यह भी पता चला कि सवार यात्री द्वारा अपने फोन पे से आटो चालक शंकर शास्त्री के फोन पे में रु 210/- ट्रांसफर किया गया।
0 फोन पे के डाटा से शुरू हुआ संदेह
जिस नंबर से ट्रांसफर किया गया था उसकी जानकारी फोन पे से लेने पर मोबाईल धारक चुरामन साव पिता स्व. श्यामलाल साव निवासी गुंजरडीह थाना नावाडीह जिला बोकारो (झारखण्ड) से ट्रांसफर होना ज्ञात हुआ। सायबर सेल की मदद से उसके कोरबा में होना पता चलने पर तत्काल जिला टीम को कोरबा रवाना किया गया। कोरबा पुलिस की सहायता से पतासाजी पर पुराना बस स्टैण्ड स्थित ज्योति लॉज में रूकना ज्ञात होने पर ज्योति लॉज में पूछने पर दिनांक 27.12.2023 की सुबह 10:00 बजे चेकआउट होना बताया। रजिस्टर चेक करने पर चुरामन साव द्वारा अपने पता के अलावा मोबाईल में शंकर शास्त्री का मोबाईल नंबर लेख मिला किन्तु उपरोक्त व्यक्ति का मोबाईल नंबर लगातार बंद होने से पतासाजी तेज की गई। 28.12.23 को वह कोरबा रेल्वे स्टेशन में मिला।
0 गुमराह करने के बाद सच उगला

गहन पूछताछ करने पर स्वयं (ऑटो चालक) शंकर शास्त्री पिता स्व. जगजीवन शास्त्री उम्र 36 वर्ष निवासी साकिन नवापारा गणेश नगर सिरगिट्टी हाल मुकाम ढेका थाना तोरवा जिला बिलासपुर (छ.ग.) का होना बताया। उसने बताया कि मृतक चूरामन साव से उसका मोबाइल ₹3500 में खरीदा था, पैसे एसबीआई एटीएम से निकाल कर दिया था। उसके लिए शराब भट्टी से शराब तथा दुकान से ₹210 का चखना लाया था जिस हेतु ₹210 उसने उसे फोन पे किया था। फिर महिमा कॉम्प्लेक्स होते हुये तोरवा थाना चौक से निकल कर मोपका, सीपत, कुली से बलौदा होते हुये लगभग 10:30 बजे खिसोरा पहुंचे। गांव से थोड़ी ही दूर में आटो भुक-भूक करके रूक गया। उतर कर चेक किया,उसी समय सामने तरफ से तीन सवारी बैठे मोटर सायकल गुजरा तो मोटरसाइकिल को रोकवाया और आटो को बनाने के लिये मिस्त्री पूछा तब वे लोग बोले रात हो गया है मिस्त्री कल मिलेगा आगे मत जाओ आगे जंगल है। यहीं गांव में रूक जाओं बोलकर वे लोग चले गये। तब आटो को पंप मारा और पुनः चालू किया तो आटो चालू हो गया। आगे लगभग डेढ़ कि.मी. चलने के बाद आटो फिर से बंद हो गया तब आटो में बैठे व्यक्ति चूरामन जो कि सो गया था,उसे नीचे उतरने को बोला। वह गहरी नींद में था तो उसका पैर पकड़कर गुस्से से जोर से खीचा तब वह सोये स्थिति में सीधे नीचे रोड पर गिर गया तथा उसके सिर से खून बहने लगा। यह देखकर इसे लगा कि वह व्यक्ति मर गया तब उसकी टी-शर्ट, और उसका पेंट को निकालकर अपना पहना हुआ टी शर्ट व अपना लोवर निकालकर उसको पहना दिया तथा अपने जूते निकालकर आटो में डाल दिया और आटो को पल्टा दिया तथा उसके पहने टी शर्ट व उसके बैग में रखे एक काले रंग का फुलपेंट को पहन लिया फिर वहीं रोड के किनारे पड़े एक बड़े से पत्थर से उसके सिर में दो बार पटक कर उसके चेहरे को कुचल कर उसकी हत्या कर दिया ताकि उसको कोई पहचान न सके और वहीं पर एक पाव देशी प्लेन शराब को पीया और शीशी को वहीं पर छोड़ दिया और अपना मोबाईल उसके शरीर के पास रख दिया ताकि लोग यह समझ की ऑटो चालक शंकर शास्त्री का एक्सीडेंट हो गया है, और वह खत्म हो गया है। ऑटो चालक स्वयं जंगल के रास्ते पंतोरा चौकी के पीछे से रोड में आ गया और ट्रक में बैठकर कोरबा चला गया तथा कोरबा में पुराना बस स्टैण्ड के पास एक पीपल पेड़ के नीचे सुबह 09:00 बजे तक बैठा रहा फिर अपना पहचान छुपाने के लिये वहीं पास के सेलून में जाकर अपना सिर मुंडन करा लिया फिर ज्योति लॉज में एक रूम किराये में लिया जिसमें अपना नाम बैग से आधार कार्ड निकालकर चुरामन साव पिता स्व. श्यामलाल साव ग्राम बुँगा, ग्राम पोस्ट गुजरडीह थाना नवाडीह बोकारो लिखा होटल वाले ने मोबाईल नंबर पूछा तो अपना मोबाईल नंबर लिखाया। दिनभर रूम में पड़े रहने के बाद शाम को बाहर निकलकर चाय पिया और लॉज वापस आकर रात्रि में लॉज के कमरे में सो गया। दिनांक 27.12.2023 कि सुबह लगभग 10:00 बजे रूम छोड़कर चुरामन साव जिसको दिनांक 25.12. 23 कि रात्रि लगभग 11बजे हत्या कर उसका बैग में रखे समान लेकर आ गया था। बैग को लेकर कोरबा में ही घूमता रहा।
जुर्म स्वीकार करने पर विधि सम्मत कार्यवाही करते हुये आरोपी शंकर शास्त्री को ज्युडिसियल रिमाण्ड पर भेजा गया।
0 फोन पर बेटी और वीडियो कॉल पर पत्नी ने पहचान से इंकार किया
पुलिस ने संदेही को जब हिरासत में लिया तो वह खुद को चुरामन बताता रहा लेकिन संदेह करने पर पुलिस ने चुरामन को उसके परिजनों से फोन पर बात करने के लिए कहा। आनाकानी करने के बाद जब उसने फोन लगाया तो चुरामन की बेटी ने उसकी आवाज पहचान कर पिता होने से इनकार किया। जब पुलिस ने वीडियो कॉल कराया तब बेटी और फिर पत्नी ने भी उसके चुरामन होने से इनकार किया। इसके बाद पुलिस ने सख्ती बरती तो सारा राज उगल दिया। चुरामन साव का शव जिसे शंकर शास्त्री का शव होने से गृहग्राम भाटापारा जिला बलौदाबाजार-भाटापारा में दफनाया गया है,उसे चूरामन के परिजनो से शिनाख्ती बाद विधिवत् कार्यवाही कर सौंपा जायेगा। इधर शंकर शास्त्री के जीवित होने की खुशी भी उसके परिजन अब ठीक से जाहिर नहीं कर पा रहे हैं। परिजनों का जहां इस घटना के बाद रो-रोकर बुरा हाल था वहीं पत्नी को भी विधवा होने की रस्म करा दी गई थी।
बहरहाल चौकी पंतोरा थाना बलौदा में अपराध क्रमांक 420/ 2023 धारा 302, 201, 419 भा.दं.वि. कायम कर लिया गया है।
उपरोक्त संपूर्ण कार्यवाही में सायबर सेल के निरीक्षण प्रवीण कुमार द्विवेदी, उप निरी. पारस पटेल, सउनि. मुकेश पाण्डेय, प्र.आर. विवेक सिंह, राजकुमार चंन्द्रा, बलवीर सिंह, आरक्षक रोहित कहरा, गिरीश कश्यप, थाना प्रभारी बलौदा उप निरी. मनोहर सिन्हा, चौकी प्रभारी पंतोरा दिलीप सिंह, आरक्षक शहबाज खान, नंद कुमार पटेल, कोरबा सायबर सेल के उप निरी. नवीन पटेल, सउनि. अजय सोनवानी, आरक्षक रवि चौबे, चन्द्रकांत गुप्ता का विशेष योगदान रहा।*

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