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कोरबा में 8 घण्टे घेरा कलेक्ट्रेट,मांग रहे पट्टा और अधिग्रहित जमीन वापस

0 एसईसीएल के रवैये से बढ़ी है नाराजगी
0 5 अक्टूबर को बैठक बुलाने की सूचना के बाद आंदोलन समाप्त

कोरबा। एसईसीएल के क्षेत्र में काबिज भू-विस्थापितों को पट्टा देने, पूर्व में अधिग्रहित भूमि मूल खातेदार किसानों को वापस करने, लंबित रोजगार प्रकरणों, पुनर्वास एवं खनन प्रभावित गांवों की समस्याओं के निराकरण के साथ 14 सूत्रीय मांगो को लेकर 50 से अधिक गांव के भू विस्थापितों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया। बारिश के बावजूद यहाँ छाता लेकर डटे रहे। दोपहर और रात का भोजन यहीं सड़क पर किया।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन दोपहर 1 बजे से शुरू हुआ। रात 9 बजे इसे 5 अक्टूबर को अपर कलेक्टर के कार्यालय में एसईसीएल के अधिकरियों की उपस्थिति में बैठक कराए जाने की लिखित सूचना दिए जाने उपरांत खत्म किया गया।
इससे पहले भूविस्थापित सैकड़ों लोग नारेबाजी करते हुए घण्टाघर मैदान/चौक से रैली की शक्ल में निहारिका, कोसाबाड़ी होते हुए कलेक्ट्रेट के लिए रवाना हुए।

कलेक्ट्रेट के सेकेंड गेट के सामने सड़क पर बैठकर प्रदर्शन, नारेबाजी व भाषणबाजी करते रहे। इस दौरान प्रशासन के अधिकारी इन्हें मनाने व समझाने पहुंचने लेकिन ठोस कार्रवाई से पहले मानने को तैयार नहीं हुए। जिला प्रशासन और एसईसीएल के आश्वासन से थके भू विस्थापितों ने कहा कि वे निराकरण हुए बिना नहीं उठेंगे। अन्ततः रात 9 बजे इन्हें 5 अक्टूबर को बैठक कराने की लिखित सूचना मिलने पर ही माने।
0 40 साल से कब्जा नहीं,वो जमीन वापस लौटाएं

माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि जिला प्रशासन की मदद से एसईसीएल द्वारा कुसमुंडा, गेवरा, कोरबा, दीपका क्षेत्र में कई गांवों का अधिग्रहण किया गया है। इस जबरन अधिग्रहण का शिकार गरीब किसान हुए हैं। आज भी हजारों भू-विस्थापित पट्टा, जमीन वापसी, रोजगार, बसावट और मुआवजा के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे है। अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 सालों में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्जा नहीं किया है और मूल किसान ही पीढ़ियों से काबिज है, उन्हें किसानों को वापस किया जाना चाहिए। जब किसानों की जबरन अधिग्रहित भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे दिए जा रहे हैं, तो पुनर्वास गांवों के हजारों भू-विस्थापित किसानों को पट्टों से वंचित रखना समझ के परे हैं। इस क्षेत्र में जिला प्रशासन की मदद से एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। माकपा और किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भू विस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है।
किसान सभा और भू विस्थापितों के नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, शिवदयाल कंवर, देवकुमार पटेल, विजय कंवर, बसंत चौहान,सुभद्रा कंवर,बहेतरीन बाई कंवर ने भू-विस्थापितों की समस्याओं के लिए जिला प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन दोनों को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कुसमुंडा में जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर 700 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है और समस्याओं की ओर कई बार प्रशासन और प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन भू-विस्थापितों की समस्याओं के निराकरण के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है। कोयला की दो दिनों तक आर्थिक नाकेबंदी के बाद त्रिपक्षीय वार्ता को टालने के काम भी उन्होंने किया है। इसलिए अब कलेक्ट्रेट का घेराव किया गया है।
0 जमीन एकमात्र सहारा थी,भुखमरी की नौबत
भू-विस्थापित नेता रेशम यादव,दामोदर श्याम ने कहा कि जिनकी जमीन एसईसीएल ने ली है, उन्हें बिना किसी शर्त के रोजगार दिया जाये क्योंकि जमीन ही उनके जीने का एकमात्र सहारा थी। आज भूविस्थापित भुखमरी के कगार पर खड़े है। इसलिए पूरे परिवार सहित हजारों भू-विस्थापित परिवार सहित कलेक्ट्रेट घेराव में शामिल हुए।

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