एकनाथ शिंदे जायेंगे केन्द्र में, बेटे को बनाया जायेगा डिप्टी सीएम, कौन बनेगा महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री ?.. दिल्ली में मंथन जारी
नई दिल्ली:महाराष्ट्र में महायुति की महाविजय के बाद अब नए मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा नेतृत्व को सहयोगी दलों के साथ फैसला लेने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। शिवसेना ने मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बरकरार रखने का दबाब बनाना शुरू कर दिया है।
भाजपा नेतृत्व इतनी बड़ी जीत के बाद भी भावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए जल्दबाजी में फैसला नहीं ले रहा है। क्योंकि शिंदे मराठा समुदाय से आते हैं, ऐसे में मराठा आरक्षण आंदोलन और अन्य परिस्थितियों में मराठा नेतृत्व का दावा काफी मजबूत है। वहीं, फडणवीस ब्राह्मण हैं। भाजपा में एक विचार ओबीसी नेतृत्व का भी है। इसके अलावा भाजपा आगामी बीएमसी चुनाव को भी ध्यान में रख रही है। वह ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहती, जिससे कि इस बड़ी जीत के बाद उसको मुंबई में झटका लगे।
सूत्रों के अनुसार सोमवार रात दिल्ली में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बेटी के शादी में महाराष्ट्र के प्रमुख नेता पहुंचे थे। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी बैठक हुई। इसमें नए मुख्यमंत्री को लेकर मंथन हुआ। भाजपा में जिन फॉर्मूलों पर चर्चा हो रही है उनमें एक यह भी है कि एकनाथ शिंदे को केंद्र में लाकर उनके बेटे को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए और पार्टी का ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। यह भी चर्चा है कि शिंदे को फिलहाल न हटाया जाए और बाद में बदलाव किया जाए।
बता दे कि एनसीपी ने इस पद के लिए भाजपा नेता और निवर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को परोक्ष समर्थन दिया है। संभावना है कि भाजपा नेतृत्व अगले एक-दो दिन में सभी घटक दलों के नेताओं से चर्चा कर मुख्यमंत्री पद का फैसला लेगा।
महायुति में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है और उसके विधायकों की संख्या दोनों सहयोगी दलों के कुल विधायकों से बहुत ज्यादा है। ऐसे में भाजपा का मुख्यमंत्री पद पर स्वाभाविक दावा है, लेकिन शिवसेना मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बरकरार रखने के पक्ष में हैं। ऐसे में फैसला लेने के लिए भाजपा को सभी घटकदलों के नेताओं की सहमति जुटानी जरूरी है। भाजपा को फैसला लेने में भावी सामाजिक और राजनीतिक समीकरण भी देखने हैं।
महाराष्ट्र में पिछली विधानसभा में शिवसेना की टूट के बाद जब भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई थी तब उसे मजबूरी और तत्कालीन हालात को देखते हुए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था। सरकार की स्थिरता के लिए पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनने के लिए राजी किया गया था। बाद में एनसीपी तोड़कर अजित पवार सरकार में शामिल हुए तो उन्हें भी उपमुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन, हाल के विधानसभा चुनाव के बाद स्थितियां बदली हैं। भाजपा ने अपने दम पर 130 से ज्यादा सीटें मिलीं हैं, जबकि बहुमत का आंकड़ा 145 है। इधर, शिवसेना और एनसीपी ने भी अपनी क्षमता से ज्यादा सीटें जीतकर गठबंधन को बेहद मजबूत बनाया है।